भारत में नशे का कारोबार सबसे ज्यादा फलता फूलता कारोबार दिख रहा है। कुछ समय पहले तक सिर्फ उड़ता पंजाब की चर्चा होती थी और पंजाब के युवाओं में नशे का चलन बढ़ रहा था। इसके अलावा कुछ बड़े शहरों और महानगरों की हाई सोसायटी में इसका कल्चर था। लेकिन अब एक के बाद एक कई राज्य इसकी चपेट में आ रहे हैं। अभी संपन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय कई पत्रकारों ने चुनाव कवरेज से इतर हरियाणा में बढ़ते नशे के कल्चर पर रिपोर्ट की। यह हैरान करने वाली बात है कि ‘ऐसा देश हरियाणा, जहां दूध दही का खाणा’ कहने वाले राज्य में बड़ी तेजी से नशे का कल्चर बढ़ रहा है। यह पंजाब का असर हो सकता है। पंजाब और हरियाणा के असर में दिल्ली और समूचा एनसीआर नशे की चपेट में दिख रहा है। पिछले दिनों दिल्ली और गुरुग्राम में बड़ी कार्रवाई के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 560 किलो ड्रग्स पकड़ी, जिसकी कीमत साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बताई गई है।
इसके दो दिन बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल ने 1,814 करोड़ रुपए की ड्रग्स पकड़ी गई। भोपाल में पहली बार इस स्तर पर ड्रग्स पकड़ी गई है। पहले ड्रग्स के मामले में भोपाल की चर्चा भी नहीं होती था। लोग भूले नहीं होंगे, जब इस साल फरवरी में गुजरात के समुद्र पट पर तीन टन से ज्यादा ड्रग्स पकडी गई थी। पिछले साल मई में एनसीबी ने पाकिस्तान से आए एक जहाज में ढाई टन मेथम्फेटामाइन पकड़ी थी, जिसकी कीमत 12 हजार करोड़ रुपए आंकी गई। क्या इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स खुदरा कारोबार में आ रहा है?
जानकारों का मानना है कि कोई छोटा मोटा आदमी या एक, दो व्यक्ति इस मात्रा में ड्रग्स नहीं मंगा सकते हैं। अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान के रास्ते टन के हिसाब से ड्रग्स आ रहा है तो इसके पीछे ऑर्गेनाज्ड गैंग होगा। यह भी आम धारणा है कि पुलिस और दूसरी एजेंसियां किसी प्रतिबंधित उत्पाद को पकड़ती हैं तो उनका औसत सौ में एक का होता है। यानी सौ खेप निकलेगी तो एक पकड़ी जाएगी। सो, जितनी ड्रग्स पकड़ी जा रही है उसको देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार में कितनी ड्रग्स जा रही है।