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बंगाल में दिलीप घोष बनाम सुवेंदु अधिकारी

भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर संगठन का काम नहीं करना है, बल्कि राज्यों में भी संगठन को दुरुस्त करना है। जिन राज्यों में भाजपा को सबसे पहले संगठन में फेरबदल करने की जरुरत है उनमें पश्चिम बंगाल अहम है। भाजपा को पश्चिम बंगाल से बड़ी उम्मीदें थीं। पार्टी के नेता वहां लोकसभा चुनाव में सीटें बढ़ने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन असल में पार्टी की सीट 18 से घट कर 12 हो गई। कहा जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अंदरूनी खींचतान की वजह से ऐसा हुआ है। पार्टी विधायक दल के नेता सुवेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस से आए हैं और उनका तालमेल संगठन के नेताओं से नहीं बैठ रहा है।

इस बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को केंद्र सरकार में मंत्री बना दिया गया है। तभी पश्चिम बंगाल में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि दिलीप घोष की फिर से अध्यक्ष के तौर पर वापसी हो सकती है। वैसे यह भी कहा जा रहा है कि विधायक दल के नेता सुवेंदु अधिकारी भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं लेकिन उनके नाम पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को आपत्ति है और वे पार्टी संगठन के दूसरे नेताओं के साथ तालमेल भी नहीं बैठा पाते हैं। दूसरी ओर दिलीप घोष को संघ का समर्थन है और वे भाजपा संगठन में काफी समय से काम कर रहे हैं। भाजपा के नेताओं का यह भी मानना है कि ममता बनर्जी से लड़ते हुए दिलीप घोष की मजबूत पहचान बन गई है। अगर दिलीप घोष अध्यक्ष बनते हैं तो सुवेंदु अधिकारी के साथ उनका टकराव और बढ़ेगा।

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By NI Political Desk

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