राजधानी दिल्ली में राजनीति बदल रही है। पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जेल से रिहा होने के बाद सारा फोकस उनके ऊपर हो गया है। जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चर्चा थम गई है। अब उनके बारे में बात नहीं हो रही है। पहले हर दिन उनकी चर्चा थी, अखबारों में सुर्खियां थीं, आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन की खबरें थीं और कानूनी मुकदमों की चर्चा थी। अब सिसोदिया ने सारा फोकस राज्य की राजनीति और विधानसभा चुनाव पर बनवा दिया है। केजरीवाल की ओर से सरकार में नंबर दो बनाई गईं आतिशी और सरकार की ओर से उप राज्यपाल वीके सक्सेना से लोहा लेने वाले सौरभ भारद्वाज की खबरें भी नहीं आ रही हैं।
कुल मिला कर राजनीति सिसोदिया के ईर्द गिर्द हो रही है। पहले तो उप राज्यपाल ने आतिशी की बजाय कैलाश गहलोत को स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने की इजाजत देकर आतिशी को किनारे किया। ऊपर से मनीष सिसोदिया ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम शुरू कर दिया। उन्होंने पदयात्रा शुरू की, जिससे चुनाव प्रचार अभियान का आगाज हुआ। विधानसभा चुनाव के लिए पदयात्रा से लेकर केंद्र सरकार के 10 साल के कामकाज पर रिपोर्ट कार्ड तैयार करने का मामला हो या दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों की रिपोर्ट कार्ड मंगाने का मामला हो या चुनाव के लिए आप की रणनीति बनाने का मामला हो, सब कुछ मनीष सिसोदिया कर रहे हैं। केजरीवाल के जेल में होने की वजह से उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी काफी सक्रिय थीं लेकिन अब उनकी सक्रियता भी कम हो गई है।