संत कबीर से माफी के साथ उनके दोहे की एक पंक्ति में बदलाव करके यह शीर्षक लिखा है, ‘साधो यह नौटंकियों का प्रदेश’। नौटंकियों का यह प्रदेश दिल्ली है। देश की राजधानी में गजब ही हो रहा है। सारी पार्टियां दिल्ली की समस्याओं को दूर करने और इसको मरते हुए शहर में तब्दील होने से बचाने की बजाय नौटंकी कर रही हैं। आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस तीनों के नेता नौटंकियों में व्यस्त हैं। इनके नेताओं में होड़ मची है कि किसकी नौटंकी की स्क्रिप्ट बेहतर है और कौन बेहतर अभिनय करता है। अभिनय के ऑस्कर स्तर के अवार्ड के लिए अभी तक मुख्य मुकाबला अरविंद केजरीवाल और उनकी चुनी हुई मुख्यमंत्री आतिशी के बीच ही चल रहा है।
लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इन दोनों को गंभीर चुनौती दी है। गुरुवार, 24 अक्टूबर को वीरेंद्र सचदेवा अपने को ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाला महान स्वतंत्रता सेनानी मानते हुए यमुना नदी में डूबकी लगाने पहुंच गए। दर्जनों कैमरों की मौजूदगी में उन्होंने नाक बंद कर यमुना नदी में डूबकी लगाई। यह नाटक का पहला दृश्य था। दूसरे दृश्य में वे बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हैं और वहां भी दर्जनों कैमरे उनकी बीमारी को कवर करके उसका प्रसारण कर रहे हैं। देखें, तीसरा दृश्य क्या होता है?
इससे पहले मुख्यमंत्री आतिशी ने छह, फ्लैग स्टाफ रोड बंगले को पीडब्लुडी द्वारा अपने कब्जे में लेने के बाद सेंट् पीटरमारिट्जबर्ग का जो दृश्य रचा था वह नौटंकी में एक नंबर पर है। जैसे दक्षिण अफ्रीका के स्टेशन पर महात्मा गांधी अपने सामान के साथ बैठे थे उसी की नकल में आतिशी पैक्ड बॉक्सेज से घिरीं, दर्जनों कैमरों की मौजूदगी में सरकारी फाइल निपटा रही थीं। बहुत मारक दृश्य बना था। केजरीवाल अपनी पदयात्राओं में उस तरह का प्रभाव नहीं पैदा कर पा रहे हैं। कांग्रेस वालों ने सात लोकसभा सीटों के लिए सात वैन बनाई है और उनमें खाली कुर्सी रख कर दिल्ली में घुमा रहे हैं। लोगों को बुला कर उस पर बैठाया जा रहा है और पूछा जा रहा है कि अगर वे सीएम होते तो दिल्ली के लिए क्या करते। यह नुक्कड़ नाटक ज्यादा प्रभावशाली नहीं हो पा रहा है।