कहा जा रहा है कि कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी इस हफ्ते में किसी दिन राजधानी दिल्ली में चल रही कांग्रेस की न्याय यात्रा में शामिल होंगे। यह भी बताया जा रहा है कि वे नौ दिसंबर को राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले समापन कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। लेकिन सवाल है कि करीब एक महीने से चल रही इस यात्रा में शामिल होने के लिए राहुल गांधी को या कांग्रेस के किसी और बड़े नेता को समय क्यों नहीं मिला? पहले कहा गया था कि राहुल गांधी इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। लेकिन हरी झंडी दिखाना तो दूर उनको एक महीने में समय ही नहीं मिला कि दिल्ली में चल रही इस यात्रा में थोड़ी देर के लिए शामिल हो जाएं।
इतना ही नहीं प्रियंका गांधी वाड्रा को भी समय नहीं मिला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या किसी अन्य महासचिव, मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री या राज्यों के मंत्रियों को भी समय नहीं मिला कि वे इस यात्रा का हिस्सा बनें।
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अपवाद के तौर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम लिया जा सकता है, जो एक दिन इस यात्रा में शामिल हुए। सोचें, राज्यों की चुनाव प्रक्रिया भी 20 नवंबर को खत्म हो गई थी और 23 नवंबर को नतीजे भी आ गए थे। यानी उसका भी बहाना नहीं था। वैसे भी राज्यों के चुनाव में या उपचुनाव में ही कौन सा राहुल या दूसरे बड़े नेता बड़ी मेहनत कर रहे थे। एक वायनाड लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दें तो कहीं भी पार्टी गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ रही थी। राजधानी दिल्ली में दो महीने में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। पिछले दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनावों से दिल्ली में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल रहा है।
तभी दिल्ली प्रदेश कमेटी की ओर से न्याय यात्रा शुरू की गई। इसका मकसद आम आदमी पार्टी पर भी दबाव बनाया है ताकि उसके साथ तालमेल किया जा सके। हालांकि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने किसी तरह के तालमेल से इनकार कर दिया है। तालमेल नहीं होने पर कांग्रेस की प्रदेश कमेटी की दूसरी योजना आम आदमी पार्टी को हरवाने की है क्योंकि उसके बगैर कांग्रेस का वोट उसके पास नहीं लौट सकता है। लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं के पास इस पर विचार के लिए समय नहीं है।