दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर हाई कोर्ट का जो फैसला होगा उस पर सबकी नजर है। जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के कविता की तो नजर है ही साथ ही जेल में बंद अनेक आईएएस और अन्य अधिकारी भी इंतजार कर रहे हैं। साथ ही कई ऐसे नेता और अधिकारी जिनके खिलाफ ईडी की जांच चल रही है वे भी इस पर नजर रखे हुए हैं। इसका कारण यह है कि केजरीवाल को जमानत देते हुए दिल्ली की विशेष अदालत की जज न्याय बिंदु ने कई अहम सवाल उठाए हैं। उन्हें न्याय के दो प्रचलित सिद्धांतों का जिक्र फैसले में किया है। उन्होंने लिखा है कि जब तक दोष सिद्ध नहीं हो आरोपी को निर्दोष माना जाता है और दूसरे चाहे लाख अपराधी छूट जाएं लेकिन बेकसूर को सजा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि अगर आरोपी के लंबे समय तक जेल में रखा जाए और जांच में आरोप गलत साबित हुए तो क्या होगा?
विशेष अदालत की जज ने धन शोधन निरोधक कानून यानी पीएमएलए पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने जांच एजेंसी यानी ईडी की साख पर भी सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि केजरीवाल के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं और किसी भी तरह से सबूत जुटाने में एजेंसी को बहुत समय लग रहा है। इससे कानून की बुनियाद और एजेंसी की साख दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। हाई कोर्ट का फैसला चाहे जो हो लेकिन वह विशेष अदालत की जज की ओर से उठाए गए बिंदुओं की अनदेखी नहीं कर सकती है। तभी फैसला चाहे जो आए वह पीएमएलए और ईडी दोनों के लिए नजीर बनेगा।