Delhi election congress: कांग्रेस पार्टी वैसे तो दिल्ली की सभी 70 सीटों पर लड़ेगी लेकिन पार्टी के जानकार नेताओं का कहना है कि उसके संसाधन सीमित हैं इसलिए वह सभी सीटों पर बहुत दमदार तरीके से नहीं लड़ सकती है।
तभी पार्टी ने तय किया है कि वह चुनिंदा सीटों पर पूरा दम लगा कर लड़ेगी। इस बार कांग्रेस का प्रयास है कि उसका खाता खुले और उसका वोट प्रतिशत दहाई में पहुंचे।
कांग्रेस को इस बार पहले से बेहतर करने की उम्मीद भी है क्योंकि कोरोना की महामारी के समय उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद मुसलमानों का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हुआ।
वे पहले भी आप की राजनीति पर संदेह करते थे लेकिन भाजपा को रोकने की मजबूरी में वे आप को वोट देते थे।
दंगों के बाद पार्टी और सरकार के कामकाज की वजह से उनकी नाराजगी बढ़ी और उन्होंने 2022 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की ओर लौटना शुरू हुआ।
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कांग्रेस को 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को साढ़े चार फीसदी के करीब वोट मिले थे लेकिन 2022 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का वोट 11.38 फीसदी पहुंच गया।
इसका नुकसान आप को हुआ और वह बहुत मामूली बढ़त हासिल कर पाई। अगर कांग्रेस इतना वोट भी हासिल करती है तो वह आप को बहुत नुकसान कर सकती है।
तभी कांग्रेस की नजर उन सीटों पर है, जहां वह मजबूती से लड़ सकती है। वह मुस्लिम बहुल सीटों पर खास ध्यान दे रही है।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक सीलमपुर, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, मटियामहल की सीटों पर कांग्रेस पूरा दम लगा कर लड़ेगी।
राहुल गांधी की पहली रैली इसी मकसद से सीलमपुर में कराई गई।
कस्तूरबा नगर में अभिषेक दत्त, नई दिल्ली में संदीप दीक्षित, जंगपुरा में फरहाद सूरी, चांदनी चौक में मुदित अग्रवाल, सुल्तानपुर माजरा में जयकिशन, मॉडल टाउन करण कंवर सिंह, घोंडा भीष्म शर्मा, पटेल नगर से कृष्णा तीरथ आदि ऐसे उम्मीदवार हैं, जो अपने दम पर भी मजबूती से लड़ रहे हैं और कांग्रेस भी इन सीटों पर पूरा दम लगाएगी।