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दिल्ली में क्या बाहरी नेताओं को मौका मिलेगा?

BJP delhi CMImage Source: ANI

कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में दूसरी पार्टियों से आकर भाजपा के विधायक बने नेताओं को मंत्री नहीं बना सकती है। हालांकि इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है कि लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी के सभी 48 विधायकों की प्रोफाइल चेक की गई है कि इनमें से कौन कितने समय से भाजपा से जुड़ा है। यह देखा जा रहा है कि सार्वजनिक जीवन में आने के बाद से कौन सबसे पहले भाजपा से जुड़ा और अभी तक जुड़ा हुआ है। अगर इस आधार पर पद देने का फैसला होगा तो कई ऐसे नेता छूट जाएंगे, जो दूसरी पार्टियों में बड़े नेता रहे हैं। हालांकि दूसरी पार्टियों से आए नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी से आए मनोज तिवारी को जब भाजपा ने दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था या कांग्रेस के हिमंता सरमा को असम का मुख्यमंत्री बनाया तो उनके साथ भेदभाव नहीं होगा।

दिल्ली में खासतौर से तीन नेताओं के बारे में सवाल उठ रहा है क्योंकि ये तीनों मंत्री पद के दावेदार हैं। दिल्ली में सिर्फ सात मंत्री बन सकते हैं। और इन सात पदों के लिए एक दर्जन से ज्यादा गंभीर दावेदार हैं। इनमें से तीन नेता बाहर से आए हैं। दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरविंदर सिंह लवली, शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहे राजकुमार चौहान और अरविंद केजरीवाल की सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा, ये तीनों मंत्री पद के दावेदार हैं। लवली सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और अगर वे मंत्री बनते हैं तो मनजिंदर सिंह सिरसा कटेंगे। ऐसे ही राजकुमार चौहान दलित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने पहली बार कांग्रेस के लिए मंगोलपुरी सीट जीती है। कपिल मिश्रा ने आप में रहते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई बड़ी आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। लेकिन अपने भड़काऊ भाषणों से उन्होंने भाजपा में अपनी उपयोगिता बनाई है।

By NI Political Desk

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