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भाजपा दिल्ली में क्यों पिछड़ रही है?

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यह पहली बार दिख रहा है कि किसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पिछड़ रही है और बाकी पार्टियां चुनाव तैयारी में उससे आगे निकल रही हैं। वह भी राजधानी दिल्ली में, जहां भाजपा को ज्यादा मजबूती से लड़ना चाहिए था। आखिर दिल्ली एकमात्र राज्य है, जहां एक बार सरकार बनाने के बाद भाजपा सत्ता से बाहर हुई तो इतने लंबे समय तक सत्ता से बाहर रही है। बाकी  राज्यों में, जहां एक बार भाजपा की सरकार बन जाती है वहां उसकी सरकार आती रहती है। लेकिन दिल्ली में भाजपा की 1993 में सरकार बनी थी और 1998 में वह हारी तो उसके बाद पिछले 26 साल से लगातार हार रही है। एक बार 2013 में वह सत्ता के करीब पहुंची थी लेकिन उसके बाद के दो चुनाव में तो उसके विधायकों की संख्या दहाई में नहीं पहुंच सकी।

इसके बावजूद भाजपा दिल्ली की तैयारियों में पिछड़ी हुई दिख रही है। उसके मुकाबले आम आदमी पार्टी ने अपने 31 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और चुनाव तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। आप सरकार ने महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को एक हजार रुपए देने की घोषणा करके चुनाव का एजेंडा भी घोषित कर दिया है। दूसरी पार्टी कांग्रेस है और उसने भी अपने 21 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इतना ही नहीं उम्मीदवारों की सूची जारी करने से पहले कांग्रेस एक महीने की न्याय यात्रा दिल्ली में निकाली। चार चरण की इस यात्रा में कांग्रेस नेता सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचे। यह अलग बात है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता इसमें शामिल नहीं हुए लेकिन इस बार कांग्रेस ने पिछड़ी जाति के देवेंद्र यादव को आगे कर मजबूती से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

यह भारतीय जनता पार्टी के लिए आदर्श स्थिति थी कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मजबूती से लड़ रहे हैं तो वह भी ताकत लगाए क्योंकि आप और कांग्रेस का वोट आधार एक है। उनका वोट बंटता है तो उसका फायदा भाजपा को होगा। भाजपा पिछले कई चुनावों से 35 फीसदी के आसपास का अपना वोट बैंक बचाए हुए है। ऊपर से 10 साल की आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी है। फिर भी भाजपा तैयारियों में पिछड़ी है। उसकी परिवर्तन यात्रा निकलने वाली थी, जिसे पता नहीं किस कारण से टाल दिया गया है। अब कहा जा रहा है कि प्रदेश भाजपा में कुछ बदलाव की तैयारी है। लेकिन चुनाव से दो महीने पहले कोई भी बदलाव करने से कुछ हासिल नहीं होगा। इसी तरह भाजपा जिस तरह से दूसरे राज्यों में सबसे पहले उम्मीदवार घोषित करती थी उसने दिल्ली में एक भी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, जबकि उसकी विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा शुरू हो गई है। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की चर्चा थी लेकिन वह भी पार्टी नहीं किया है। वह इसलिए जरूरी है क्योंकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा हैं, जिनकी कोई खास पहचान दिल्ली में नहीं है। अगर चेहरा घोषित नहीं होता है तो अरविंद केजरीवाल बनाम देवेंद्र यादव बनाम वीरेंद्र सचदेवा का मुकाबला होगा, जिसमें भाजपा को नुकसान हो सकता है। कहा जा रहा है कि भाजपा नए सिरे से यात्रा की योजना बना रही है और उसके बाद ही उम्मीदवारों की घोषणा होगी। उससे पहले कोई चेहरा आगे किया जा सकता है, चाहे जिस रूप में हो।

By NI Political Desk

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