दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जितनी तेजी से एक्सपोज होते जा रहे हैं, उनकी सरकार विफलताएं खुलती जा रही हें, आम आदमी होने का मुखौटा उतारता जा रहा है उतनी ही तेजी से वे धर्म और भगवान की शरण में जा रहे हैं। अब वे कह रहे हैं कि भगवान ही उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। केजरीवाल यह भी कह रहे हैं कि दिल्ली के मेयर के चुनाव में उनकी पार्टी तीन वोट से जीती तो वह इसलिए संभव हो सका क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र चला दी और भाजपा को हरा दिया। इतना ही नहीं केजरीवाल ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में कहा कि अगला चुनाव धर्मयुद्ध है।
सोचें, विधानसभा का चुनाव होगा उसमें क्या धर्मयुद्ध है? क्या देश की राजधानी दिल्ली में लोग यह मान लेंगे कि केजरीवाल धर्मयुद्ध लड़ रहे हैं? भाजपा भी हिंदू धर्म की राजनीति करती है। उसने राममंदिर पर दशकों तक राजनीति की लेकिन उसने भी किसी पार्टी के खिलाफ चुनाव को धर्मयुद्ध नहीं बनाया। केजरीवाल तो सीधे सीधे कृष्ण भगवान, सुदर्शन चक्र, हनुमान जी, धर्मयुद्ध आदि की घुट्टी पिलाने में लग गए हैं। दिल्ली के लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है और हवा इतनी गंदी है कि लोगों का दम घुट रहा है इसके बावजूद केजरीवाल की नजर में अधर्म विपक्षी पार्टी कर रही है और वे धर्मयोद्धा हैं। यह उसी स्तर का विरोधाभास है कि अरविंद केजरीवाल के बाथरूम में सोने की टायलेट सीट लगी है और वे अपने को आम आदमी कहते हैं!