दिल्ली की हवा और पानी दोनों बहुत गंदे हो गए हैं। छठ करने वाले लोगों के लिए जो घाट बनाए गए हैं उसके आसपास केमिकल डाल कर सफाई की जा रही है वरना उससे पहले वहां पानी में खड़े होने की स्थिति नहीं थी। पूरी यमुना झाग से भरी हुई थी। यही हाल हवा का है। वायु गुणवत्ता सूचकांक नवंबर के महीने में आठ दिन से ज्यादा गंभीर श्रेणी में जा चुकी है। यह स्थिति तब है जब बारिश की वजह से कई दिन तक हवा की गुणवत्ता अच्छी रही। सो, हवा और पानी की इतनी खराब स्थिति के बावजूद दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ही लगा रहे हैं। कोई जिम्मेदारी लेकर इसे ठीक नहीं कर रही है।
यमुना में पानी के प्रदूषण को लेकर राज्य की मंत्री आतिशी ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अभी छठ के लिए तो हम साफ करा दे रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को भी गंदा पानी यमुना में नहीं छोड़ना चाहिए। उनके इस बयान के बाद बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से यमुना का पानी दिल्ली आता ही नहीं है। दिल्ली में यमुना का पानी हरियाणा से आता है। जिस कालिंदी कुंज बराज से पानी दिल्ली आने की बात उन्होंने कही वहां से भी पानी नहीं आता है। इसी तरह से हवा की गुणवत्ता खराब होती है तो पहले आप के नेता पंजाब पर ठीकरा फोड़ते थे और जब से पंजाब में अपनी सरकार बन गई है तब से हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। दूसरी ओर उप राज्यपाल, जो दिल्ली सरकार के वास्तविक प्रमुख हैं वे वायु गुणवत्ता सूचकांक में गिरावट के लिए पंजाब और दिल्ली सरकार को दोष दे रहे हैं। उनको हरियाणा या उत्तर प्रदेश नहीं दिख रहा है। उनका कहना है कि पंजाब में पराली जलाने और दिल्ली सरकार द्वारा उपाय नहीं करने की वजह से दिल्ली की हवा खराब हुई।