कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाती रही है कि वह सब कुछ निजी हाथों में सौंप रही है। लेकिन अब आम आदमी पार्टी के नियंत्रण वाले दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी ने कानून प्रवर्तन का एक बड़ा काम निजी कंपनियों को देने का फैसला किया है। अब तक दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में भी पार्किंग का ठेका निजी कंपनियों को दिया जाता रहा है लेकिन अवैध पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को उठाने और उन्हें थाने में जमा करने का काम ट्रैफिक पुलिस ही करती रही है। वह काम कहीं भी निजी कंपनियों को नहीं दिया गया है। लेकिन दिल्ली सरकार वैध पार्किंग से बाहर खड़ी गाड़ियों को उठाने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को देने जा रही है।
ध्यान रहे गलत तरीके से पार्क या नो पार्किंग जोन में खड़ी गाड़ियों को उठाने का काम ट्रैफिक पुलिस करती है। इसे इलाके के संबंधित थाने में या निर्धारित जगह पर ले जाया जाता है, जहां से गाड़ियों के मालिक वैध कागजात दिखा कर और जुर्माना भर कर अपनी गाड़ी ले जाते हैं। अब निजी कंपनियों को अधिकार होगा कि वैध पार्किंग से बाहर या नो पार्किंग जोन में खड़ी गाड़ियों को उठा ले जाएं। गाड़ी के वजन और आकार के हिसाब से कंपनियां उसे उठा ले जाने का शुल्क वसूलेंगी और साथ ही जितने समय तक गाड़ी उनके पास खड़ी रहेगी उसका किराया भी कंपनियां वसूलेंगी। यह कई हजार रुपए तक हो सकता है। यह साधारण पार्किंग का मामला नहीं है, बल्कि कानून प्रवर्तन का मामला है, जिसे निजी कंपनियां मुनाफा कमाने का साधन बना सकती है। इससे मनमानी बढ़ने का खतरा अलग है। एमसीडी ने इसका टेंडर जारी कर दिया है। अगर इसे नहीं रोका गया तो दिल्ली के लोगों के लिए एक बड़ा सिरदर्द खड़ा होगा। ध्यान रहे दिल्ली में तीनों महानगरों की साझा संख्या से ज्यादा गाड़ियां हैं और पार्किंग की जगह बहुत सीमित है।