पिछले कुछ समय से ऐसा लग रहा है और सरकार की ओर से भी सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर आई थी कि जनगणना जल्दी ही हो सकती है। लेकिन अब एक बार फिर इस पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि हो सकता है कि सरकार इस महीने इस पर कोई फैसला करे लेकिन उससे पहले खबर है कि सांख्यिकी विभाग की स्थायी समिति ने जनगणना में देरी पर सवाल उठाया और इसके बारे में पूछताछ की तो समिति ही भंग कर दी गई। सांख्यिकी विभाग की एक 14 सदस्यों की स्थायी समिति थी, जिसके अध्यक्ष जाने माने अर्थशास्त्री प्रणब सेन थे। बिना कोई कारण बताए इस समिति को भंग कर दिया गया है।
प्रणब सेन ने कहा कहा है कि किसी भी सदस्य को इसके बारे में सूचना नहीं दी गई कि क्यों समिति भंग की जा रही है। राष्ट्रीय सैंपल सर्वे विभाग यानी एनएसएसओ की महानिदेशक गीता सिंह राठौड़ ने चिट्ठी जारी की और समिति भंग हो गई। बताया जा रहा है कि समिति के सदस्यों ने जनगणना में हो रही देरी पर सवाल उठाया था और जल्दी से जल्दी जनगणना कराने की मांग की थी। ध्यान रहे हर साल 10 साल पर होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के काऱण इसे टाल दिया गया। उसके बाद कोरोना के बीच और कोरोना खत्म होने के बाद तमाम राजनीतिक गतिविधियां होती रहीं, चुनाव होते रहे लेकिन जनगणना नहीं हुई। अभी तक 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लोक कल्याण के नीतिगत फैसले हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि जल्दी ही जनगणना की घोषणा होगी लेकिन संभवतः जाति गिनती का मामला आ जाने की वजह से इसमें देरी हो रही है।