अब कांग्रेस महासचिव Priyanka Gandhi वाड्रा ने भी लोकसभा सदस्य के तौर पर शपथ ले ली है। बुधवार को उनको वायनाड सीट जीतने का सर्टिफिकेट मिला और उन्होंने गुरुवार को शपथ ली। अब फिर गांधी परिवार के दो सदस्य निचले सदन में रहेंगे। यह कोई नई स्थिति नहीं है। 2004 से 2024 तक भी सोनिया और राहुल गांधी दोनों लोकसभा में थे। तब तो मेनका और वरुण गांधी भी होते थे। अब वो दोनों सदन में नहीं हैं। कांग्रेस में बदलाव यह हुआ है कि सोनिया गांधी की जगह प्रियंका आ गई हैं। पहले सोनिया पहली कतार में और राहुल पीछे बैठते थे, अब राहुल आगे बैठेंगे और प्रियंका पीछे की सीट पर बैठेंगे। तभी सवाल है कि क्या अब भी सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा, जैसे पहले चल रहा था?
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कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि कुछ बदलाव हो। कांग्रेस के कई सांसदों ने कहा है कि राहुल गांधी और Priyanka Gandhi वाड्रा के बीच जिम्मेदारी बंटनी चाहिए। सब इस बात से हैरान हैं कि प्रियंका को दो साल से कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। वे चुनाव प्रचार में जरूर रैलियां करने गईं और पार्टी की महासचिव भी रहीं लेकिन बिना जिम्मेदारी के। अब अगर राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते संसदीय जिम्मेदारी निभा रहे हैं तो प्रियंका को संगठन का काम दिया जाना चाहिए। यह अलग बात है कि राहुल को संसदीय जिम्मेदारी में भी दिलचस्पी नहीं है तभी उन्होंने नेता विपक्ष को मिलने वाली लोक लेखा समिति की अध्यक्षता भी नहीं ली। वहां केसी वेणुगोपाल को भेज दिया। फिर भी कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ बदलाव दिखेगा। प्रियंका की सक्रियता संसद में भी रहेगी और संगठन भी।