कांग्रेस नेता राहुल गांधी सारे समय क्या करते हैं? यह यक्ष प्रश्न है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। वे सरकार का कामकाज देखते हैं, जिसके बारे में उनके समर्थकों ने फैला रखा है कि वे 18 घंटे काम करते हैं। भले जितने घंटे करते हों लेकिन सरकारी कामकाज के बाद जो समय बचता है उसमें वे राजनीति करते हैं। पार्टी नेताओं के साथ बैठक करते हैं, राज्यों के दौरे करते हैं और चुनाव प्रचार करते हैं। लेकिन राहुल गांधी क्या करते हैं? उनको सरकार नहीं चलानी है और नेता प्रतिपक्ष के नाते उनका काम संसद सत्र चलने पर ही है और सबको पता है कि इन दिनों संसद सत्र कितने दिन चलता है। उनके नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पिछले पांच महीने में ऐसा नहीं है कि उन्होंने संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने का रिकॉर्ड बना दिया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते एक जिम्मेदारी का काम लोक लेखा समिति यानी पीएसी के अध्यक्ष का होता है। लेकिन राहुल गांधी के पास उसके लिए भी समय नहीं है इसलिए उन्होंने अपने नजदीकी सांसद और कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बनवा दिया। सोचें, कितने बिजी हैं, कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर जो पदेन जिम्मेदारी है उसे निभाने के लिए भी समय नहीं है, जबकि पिछली लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी और उससे पहले की लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भूमिका निभाई थी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को सीबीआई निदेशक की नियुक्ति सहित कई अहम पदों की नियुक्ति वाली कमेटियों में जगह मिलती है। यह देखना होगा कि राहुल उसमें भी जाते हैं या उसके लिए भी वेणुगोपाल को मनोनीत कर देते हैं!
बहरहाल, दो राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और 14 राज्यों की 47 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव भी हो रहे हैं। बुधवार को राहुल महाराष्ट्र में चुनावी रैली करने गए। उससे पहले पिछले 15 दिन में उन्होंने दो रैलियां कीं और वह भी केरल के वायनाड में, जहां उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा का उपचुनाव लड़ रही हैं। इन 15 दिनों में वे एक दिन चंद घंटों के लिए अपने चुनाव क्षेत्र रायबरेली गए, जहां बतौर सांसद एक सरकारी कार्यक्रम में उनको हिस्सा लेना था। उनके विरोधियों का कहना है कि रायबरेली से सांसद चुने जाने के बाद राहुल गांधी पिछले पांच महीने में करीब 10 घंटे अपने चुनाव क्षेत्र में रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने इस तथ्य का खंडन नहीं किया है तो यह मानना चाहिए कि उन्होंने पांच महीने में 10 घंटे अपने चुनाव क्षेत्र में बिताए।
सोचें, राहुल गांधी महाराष्ट्र जैसे राज्य में चुनाव प्रचार में इतनी देरी से उतरे और झारखंड में तो प्रचार करने अभी तक नहीं गए हैं। यह स्थिति तब है, जब पिछले ही महीने हरियाणा में हारे हैं और जम्मू कश्मीर में बुरी तरह से हारे हैं। फिर भी कांग्रेस में जान फूंकने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए सड़क पर उतरे, चुनावी सभा, रैलियां और रोड शो करने की बजाय पता नहीं है वे क्या कर रहे हैं? पिछले 15 दिन में एक दिन वे दिल्ली में कुम्हारों की बस्ती में गए थे और एक दिन अपने सरकारी आवास पर मजदूरों के साथ सफेदी का काम करते हुए वीडियो शेयर किया था। और हां, बुधवार को अंग्रेजी के अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख लिखा है राहुल गांधी ने।