कांग्रेस पार्टी ने यह कमाल की सिस्टम बनाया है। वहां प्रभारियों से सवाल नहीं पूछे जाते हैं और न उन पर कोई कार्रवाई होती है। इसका कारण यह है कि पार्टी के आला नेताओं खास कर परिवार के सदस्यों के आसपास परिक्रमा करने वालों को ही प्रभारी बनाया जाता है। प्रभारी बनने के बाद वे मनमानी शुरू कर देते हैं और अगर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेता उसकी शिकायत करते हैं तो उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। कई बार तो ऐसा होता है कि प्रदेश का कोई नेता प्रभारी के खिलाफ शिकायती चिट्ठी राहुल गांधी को लिखे तो वह चिट्ठी भी प्रभारी के पास ही पहुंच जाती है और फिर वह बेचारा प्रदेश नेता कहीं का नहीं रह जाता है।
दिल्ली और हरियाणा के प्रभारी दीपक बाबरिया किसी कारण से राहुल गांधी को बहुत पसंद हैं। वे पहले मध्य प्रदेश के भी प्रभारी थे। बाबरिया की अनेक शिकायतें दिल्ली और हरियाणा प्रदेश के नेताओं ने पार्टी आलाकमान से की लेकिन किसी पर सुनवाई नहीं हुई। दिल्ली में आलाकमान के करीबी नेताओं के साथ मिल कर बाबरिया ने या तो खुद फैसले किए या कोई फैसला नहीं होने दिया। कांग्रेस छोड़ कर गए प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने उनकी कई शिकायतें की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंत में लवली और उनके साथ साथ कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जैसे राजकुमार चौहान, नसीब सिंह आदि भाजपा में चले गए। हालांकि अब भी बाबरिया के खिलाफ अभियान थमा नहीं है। संदीप दीक्षित सहित कई नेता अब भी इस प्रयास में लगे हैं कि बाबरिया को हटाया जाए। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी। हां, कांग्रेस के कुछ और प्रदेश नेता पार्टी छोड़ना चाहें तो छोड़ सकते हैं।