आमतौर पर किसी नेता के पार्टी से नाराजगी का कारण यह होता है कि पार्टी ने उसे कुछ नहीं दिया। लेकिन कांग्रेस में इसका उलटा होता है। कांग्रेस में जिन लोगों को सब कुछ मिलता है वे ही नाराज होते हैं। पिछले एक दशक में यानी जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनी है तब से कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की सूची पर नजर डालेंगे तो दिखाई देगा कि पार्टी ने जिन लोगों को मुख्यमंत्री बनाया, केंद्र में मंत्री बनाया और संगठन में बड़े पद दिए उन लोगों ने ही पार्टी छोड़ी। इनमें अनेक लोग ऐसे हैं, जो योग्य नहीं थे लेकिन पार्टी नेतृत्व के साथ नजदीकी या परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि या विदेश में पढ़ाई लिखाई की वजह से ऊंचे पदों पर आसीन हुए और जब कांग्रेस कमजोर हुई तो पार्टी छोड़ कर मजबूत पार्टी की ओर चले गए, जहां से कुछ हासिल हो सकता है।
पिछले एक दशक में कांग्रेस के एक दर्जन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने पार्टी छोड़ी है। सोचें, राजनीति में प्रधानमंत्री के बाद दूसरा सबसे अहम पद मुख्यमंत्री का होता है और कांग्रेस ने जिन योग्य या अयोग्य लोगों को मुख्यमंत्री बनाया उनमें से 10 ने पार्टी छोड़ दी। ताजा मामला अशोक चव्हाण का है, जिनको कांग्रेस ने दो बार मुख्यमंत्री बना कर देश की वित्तीय राजधानी यानी मुंबई में बैठाया। वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और बाद में प्रदेश अध्यक्ष भी हुए लेकिन अब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं। महाराष्ट्र के एक और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे इन दिनों भाजपा में हैं। हालांकि उनको शिव सेना ने सीएम बनाया था। लेकिन जब वे शिव सेना छोड़ कर कांग्रेस मे आए तो पार्टी ने उनको कई बार मंत्री बनाया और विधान परिषद में भी भेजा।
पंजाब के मुख्यमंत्री रहे कैप्टेन अमरिंदर सिंह भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में चले गए हैं। इस सदी के 24 बरसों में कांग्रेस को दो बार पंजाब में सरकार बनाने का मौका मिला और दोनों बार कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री बनाया। पहली बार वे पूरे पांच साल रहे। उसके 10 साल बाद फिर कांग्रेस को मौका मिला तो वे सीएम बने और चार साल से ज्यादा समय तक रहे। लेकिन सीएम से हटाने के बाद ही वे पार्टी से अलग हो गए और फिर भाजपा में चले गए। इसी तरह कांग्रेस को दशकों बाद जम्मू कश्मीर में अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिला तो उसने गुलाम नबी आजाद को सीएम बनाया। वे अनेक बार केंद्र में मंत्री रहे। जहां तहां से राज्यसभा और लोकसभा लेकर संसद में पहुंचते रहे। पार्टी के बड़े पदाधिकारी रहे लेकिन कांग्रेस के कमजोर होते ही पाला बदल लिया। राहुल गांधी और पूरे नेतृत्व पर तरह तरह के आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ गए।
कांग्रेस ने जिन नेताओं को मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री बना कर हमेशा बड़े पद दिए उनमें एक एसएम कृष्णा भी हैं। वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में विदेश मंत्री भी रहे। लेकिन कांग्रेस कमजोर हुआ तो वे भी बुढ़ापे में भाजपा में चले गए। विजय बहुगुणा को तो कांग्रेस ने सिर्फ इस आधार पर उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था कि वे हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे थे और कोई जमीनी आधार नहीं रखते थे। लेकिन बाद वे भी पूरे परिवार के साथ भाजपा में चले गए। वाईएसआर रेड्डी जैसे दिग्गज के निधन के बाद कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में जो प्रयोग किए उसमें एक प्रयोग किरण रेड्डी को सीएम बनाने का भी था। लेकिन वे भी बाद में पार्टी छोड़ गए। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू को भी कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था। गोवा के मुख्यमंत्री रहे तीन नेता- लुइजिन्हो फ्लेरियो, दिगंबर कामत और रवि नाईक कांग्रेस छोड़ कर जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अजित जोगी को पहला मुख्यमंत्री बनाया था और वे भी बाद में पार्टी छोड़ कर चले गए थे। केंद्रीय मंत्री रहे नेताओं की सूची तो और भी लंबी है। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह अभी भाजपा की टिकट पर राज्यसभा भेजे जा रहे हैं।