पांच राज्यों में से चार में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की स्थिति ऐसी हो गई है कि हर नेता उसको नसीहत दे रहा है। हर नेता उस पर सवाल उठा रहा है और कोई उसकी बात मानने को तैयार नहीं है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ईवीएम को लेकर एक प्रस्ताव मंजूर कराना चाहा लेकिन विपक्षी पार्टियों ने ऐसा नहीं होने दिया। लेकिन ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव दे दिया। यह सिर्फ कांग्रेस को घेरने की ममता और अरविंद केजरीवाल की रणनीति थी। वहां जब प्रस्ताव ठुकरा दिया गया तब भी दो दिन तक मीडिया से बातचीत में ममता कहती रहीं कि उन्हें खुशी है कि खड़गे विपक्ष का चेहरा बनेंगे।
वे इतने पर नहीं रूकी हैं। उन्होंने कांग्रेस को अब एक नई सलाह दे दी है। उन्होंने कहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए। सोचें, उनसे यह सलाह किसने मांगी थी? अगर ममता को उनकी पार्टी प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानती है तो ममता क्यों नहीं खुद वाराणसी से जाकर लड़ जाती हैं या पीएम बनने की महत्वाकांक्षा पाले हुए अरविंद केजरीवाल जब 2014 में वाराणसी लड़ने गए थे तो इस बार फिर क्यों नहीं जाकर वहां से चुनाव लड़ते हैं? बहरहाल, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने भी कांग्रेस को सलाह दी है कि वह पहले तय करे कि उत्तर प्रदेश में किसके साथ लड़ेगी, बसपा के साथ या कांग्रेस के साथ।