कांग्रेस पार्टी सिद्धांत रूप से एक व्यक्ति एक पद का नियम बनाए हुए है। लेकिन कुछ मामलों में उसने इसका अपवाद भी बनाया हुआ है। जैसे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में नेता विपक्ष भी हैं। माना जा रहा था कि खड़गे के लिए यह अपवाद बनाया गया है ताकि उन्हें दिल्ली में बड़ा बंगला मिल सके। लेकिन कर्नाटक और तेलंगाना में भी यह अपवाद है और लंबा खींचता जा रहा है। कर्नाटक में एक साल दो महीने से डीके शिवकुमार प्रदेश अध्यक्ष हैं और राज्य के उप मुख्यमंत्री भी हैं। इसी तरह तेलंगाना में आठ महीने से रेवंत रेड्डी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं और राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों राज्यों में पार्टी को नए अध्यक्ष बनाने हैं लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन रही है। पहले कहा जा रहा था कि डीके शिवकुमार लोकसभा चुनाव तक अध्यक्ष रहेंगे और उसके बाद पद छोड़ देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। अब कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ माहौल बना हुआ है और उसके बीच चर्चा चल रही है कि अगर वे सीएम पद नहीं छोड़ते हैं तो शिवकुमार भी अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे। दूसरी ओर सिद्धरमैया खेमा कह रहा है कि शिवकुमार को अध्यक्ष रखने का कोई फायदा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। इसलिए उनको बदल देना चाहिए। उधर तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी चाहते हैं कि उनके करीबी बलराम नायक को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए तो दूसरी ओर पार्टी का दूसरा खेमा महेश गोड़ का नाम चलाए हुए है। इस खींचतान में कोई सहमति नहीं बन पा रही है और आठ महीने से रेवंत रेड्डी दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।