EVM controversy, हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस पार्टी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम सहित चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर भी सवाल उठाया है। उसने कहा है कि जान बूझकर कांग्रेस समर्थकों के वोट काटे गए और नए वोट जोड़े गए। आंकड़ों के जरिए कांग्रेस ने यह भी समझाया है कि महाराष्ट्र में जितने नए वोट जोड़े गए, विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके गठबंधन को लोकसभा के मुकाबले लगभग उतने ही ज्यादा वोट मिले।
कांग्रेस ने यह भी समझाया है कि दो लोकसभा चुनावों के बीच जितने नए मतदाता जुड़े उससे ज्यादा नए मतदाता विधानसभा और लोकसभा के बीच के चार महीने में जोड़े गए। इसके बाद कांग्रेस ने कहा कि मतदान समाप्त होने के बाद मतदान प्रतिशत में इतना बड़ा अंतर कैसे आया? कांग्रेस का तीसरा सवाल यह है कि नांदेड़ में जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जीती तो उस क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर कैसे हार गई?
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अगर मतदान समाप्त होने के बाद वोट बढ़ने की बात करें तो कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि शाम छह बजे बताया गया कि 58 फीसदी वोटिंग हुई है। उसके बाद रात 11 बजे 65 फीसदी मतदान का आंकड़ा आया और फिर अंत में 66 फीसदी से ज्यादा वोट का आंकड़ा आया। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि शाम में एक घंटे में 76 लाख वोट पड़े, क्या यह संभव है? इसका जवाब बहुत आसान है। EVM controversy
महाराष्ट्र में एक लाख मतदान केंद्र बने थे, अगर 76 लाख वोट बढ़े हैं तो औसतन एक बूथ पर 76 वोट बढ़ा है। यह कोई बड़ी संख्या नहीं है। एक बूथ पर पांच बजे शाम के बाद 76 लोगों का कतार में होना मुमकिन है। ध्यान रहे महाराष्ट्र ज्यादा शहरी इलाके वाला राज्य है, जहां अक्सर लोग देर से वोटिंग के लिए निकलते हैं। दूसरे, चुनाव आयोग का आकलन है कि एक मिनट में एक वोट पड़ता है। इसलिए अगर एक या सवा घंटे में 76 वोट पड़े हैं तो वह भी कोई हैरतअंगेज मामला नहीं है।
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इसी तरह नांदेड़ लोकसभा सीट का मामला है। लोकसभा चुनाव में मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच था और बिल्कुल आमने सामने का था। तभी कांटे की टक्कर में कांग्रेस करीब डेढ़ हजार वोट से जीती। कांग्रेस को पांच लाख 86 हजार से कुछ ज्यादा और भाजपा को पांच लाख 85 हजार वोट मिले। लेकिन विधानसभा में ऐसा नहीं था। विधानसभा की सभी छह सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला था। इसके अलावा हर सीट पर जाति का समीकरण अलग तरह से काम कर रहा था, जो जाहिर तौर पर लोकसभा में नहीं था।
इसके अलावा एक सीट पर उद्धव ठाकरे की पार्टी ने भी उम्मीदवार उतारा था। कई सीटों पर वंचित बहुजन अघाड़ी और एमआईएम ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा। असल कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेता लोकसभा चुनाव में 48 में से 31 सीटें जीतने की वजह से विधानसभा की जीत पक्की मान कर बैठे थे। लेकिन हकीकत यह है कि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी और भाजपा की महायुति के बीच सिर्फ डेढ़ लाख वोट का फर्क था। महाविकास अघाड़ी को ढाई करोड़ और महायुति को दो करोड़ 48 लाख 50 हजार वोट मिले थे।