लोकसभा के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद से उसकी राजनीति पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस के साथ साथ ‘इंडिया’ ब्लॉक की दूसरी बड़ी पार्टियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी गठबंधन की एक एक अहम सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सीपीआई के महासचिव डी राजा ने सवाल उठाया है। उन्होंने सिर्फ कांग्रेस का नाम नहीं लिया है। उन्होंने गठबंधन की बड़ी पार्टियों के रुख पर सवाल उठाया है। डी राजा ने कहा है कि बड़ी पार्टियों की एप्रोच की वजह से गठबंधन में समस्या आ रही है और वही एप्रोच चुनावी जीत में बाधा बन रही है।
असल में डी राजा की पार्टी कांग्रेस से परेशान है तो सीपीएम के नजरिए से भी परेशान है। सीपीएम का आधार भी अब सिर्फ केरल में बचा है इसलिए पार्टी वहां अपने को बचाए रखने की मेहनत कर रही है। लेकिन इस चक्कर में वाम मोर्चे की दूसरी पार्टियों के साथ उसके संबंध तनाव वाले हो गए हैं। इस बीच केरल में सीपीआई के नेता एक एक करके पार्टी छोड़ने लगे हैं।
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वे भाजपा में जा रहे हैं या स्वतंत्र राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस पर उनका सवाल इसलिए है क्योंकि वह गठबंधन की छोटी सहयोगी पार्टियों को चुनावों में एडजस्ट नहीं करती है। तभी कांग्रेस हो या सीपीएम या गठबंधन की दूसरी बड़ी पार्टियां हों उनको इस बात का ध्यान रखना होगा कि लोकसभा में सभी छोटी बड़ी पार्टी को गठबंधन में शामिल किया गया और सबका ध्यान रखा गया तभी प्रदर्शन सुधरा था। आखिरी समय तक गठबंधन अटकाने, सीट बंटवारे में देरी करने और सहयोगियों को कम सीटें देने जैसी रणनीति नुकसान पहुंचा सकता है।