बिहार में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छापा मारा। यह बड़ी हैरानी की बात है कि सहयोगी पार्टी की सरकार वाले राज्य में ईडी का छापा पड़े। आमतौर पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों में हो रही है। एक आंकड़े के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों की 95 फीसदी कार्रवाई विपक्षी पार्टियों के नेताओं या उनके करीबियों के खिलाफ हुई है। 10 साल पहले यह अनुपात 65 फीसदी का था। बहरहाल, ईडी ने पिछले दिनों बिहार सरकार के ऊर्जा सचिव संजीव हंस के यहां छापा मारा। उनके साथ साथ राष्ट्रीय जनता दल के विधायक रहे गुलाब यादव के यहां भी छापा पड़ा। गुलाब यादव इस बार लोकसभा टिकट नहीं मिलने पर पाला बदल चुके हैं और वे बसपा की टिकट पर झंझारपुर सीट से लड़े थे।
इन दोनों के यहां छापे के बाद कई तरह की कहानियां कही जा रही हैं। बताया जा रहा है कि आईएएस अधिकारी के यहां रिसॉर्ट का पता चला है, मर्सिडीज गाड़ी और 95 करोड़ रुपए का पता चला है। यह भी पता चला है कि किसी महिला का एंगल है, जिसने शिकायत की थी। लेकिन चाहे जो हो बड़ा सवाल तो यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी किसी अधिकारी के यहां कैसे छापा पड़ा? ध्यान रहे संजीव हंस अब भी जनता दल यू के मंत्री के मंत्रालय में सचिव हैं और पहले वे रामविलास पासवान के प्रधान सचिव रह चुके हैं। तभी यह भी कहा जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसी को उनकी पड़ताल से कुछ ऐसी चीजें मिल सकती हैं, जिससे जनता दल यू और सरकार पर दबाव बन सकता है।