भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार मंडल मुर्मू को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया। एक हफ्ते पहले तक झारखंड की राजनीति में मंडल मुर्मू को कोई नहीं जानता था। संथालपरगना के एक छोटे से इलाके में जरूर लोग उनको जानते थे। उनकी एकमात्र पहचान यह है कि वे महान स्वतंत्रता सेनानी सिद्धो मुर्मू के खानदान से आते हैं। लेकिन यह कोई परिचय नहीं होता है। आखिर खूंटी जाने पर उलिहातू और आसपास के इलाके में अनेक लोग मिल जाएंगे, जो सीधे भगवान बिरसा मुंडा के खानदान से आते हैं। लेकिन इतने भर से वे लोग राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं हो जाते हैं। तभी भाजपा ने मंडल मुर्मू को ट्रॉफी की तरह पेश किया तो यह हैरानी की ही बात लगी।
असल में मंडल मुर्मू इसलिए अहम हो गए है क्योंकि बरहेठ विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नामांकन में वे प्रस्तावक थे। भाजपा ने पहले प्रयास किया कि वे नामांकन पत्रों की जांच से पहले मंडल मुर्मू को तोड़ लिया जाए और उनसे हलफनामा दिलवा कर हेमंत सोरेन का नामांकन रद्द कराया जाए। लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। उससे पहले भाजपा ने मंडल मुर्मू को बरहेठ सीट पर हेमंत के खिलाफ उम्मीदवार बनाने का भी प्रस्ताव दिया था लेकिन वे तैयार नहीं हुए। अब भाजपा ने उनको पार्टी में शामिल कर लिया और उम्मीद कर रही है कि वे चुनाव में हेमंत को नुकसान पहुचाएंगे। हालांकि इसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है। इससे सिर्फ भाजपा की बेचैनी जाहिर होती है। असल में संथालपरगना में 18 सीटें हैं, जिनमें से पिछली बार जेएमएम गठबंधन ने 13 जीती थी और भाजपा को सिर्फ चार सीट मिली थी। वहां अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए भाजपा हर दांव आजमा रही है।