यह लाख टके का सवाल है कि विपक्ष ने संसद में बिहार और आंध्र प्रदेश को कुछ अतिरिक्त मदद मिलने को इतना बड़ा मुद्दा क्यों बनाया? आखिर छह सात महीने पहले तक कांग्रेस और राजद भी बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे या विशेष पैकेज देने की अपील कर रहे थे। सो, अगर बिहार को कुछ अतिरिक्त मिल गया तो अब अचानक उसका विरोध क्यों शुरू हो गया? आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए भी इस तरह की मांग बरसों से हो रही है। यह भी हैरान करने वाली बात है कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश में भारत पेट्रोलियम की रिफाइनरी लगाने से लेकर कई दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए 60 हजार करोड़ रुपए के निवेश की मंजूरी पिछले दिनों दी तो विपक्ष ने मुद्दा नहीं बनाया लेकिन बजट में 15 हजार करोड़ नई राजधानी देने का प्रावधान हुआ तो पूरा विपक्ष विरोध में खड़ा हो गया।
बहरहाल, विपक्ष के विरोध और सरकार के बचाव के पीछे असल में चुनावी राजनीति है। गौरतलब है कि अगले तीन महीने के भीतर चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सो, विपक्षी पार्टियां उन चार राज्यों में यह माहौल बनाना चाहती हैं कि भाजपा उनके साथ भेदभाव कर रही है, उनकी अनदेखी कर रही है। इसके अलावा बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को कुछ अतिरिक्त मदद देने का इतना बड़ा मुद्दा बनाने का कोई और कारण नहीं है। ध्यान रहे हर बजट में कुछ राज्यों के लिए इस तरह के प्रावधान किए जाते हैं। खास कर पिछड़े राज्यों के लिए अतिरिक्त वित्तीय आवंटन कोई नई बात नहीं है।
अगले तीन महीने में जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है। विपक्षी पार्टियों ने दूसरे राज्यों से भेदभाव का जो नैरेटिव बनाया है वह दरअसल इन चार राज्यों के लिए है। भाजपा को यह बात समझ में आई है तभी उसने इन चार राज्यों के नजरिए से ही इस नैरेटिव को काउंटर करने का प्रयास किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले दिनों महाराष्ट्र को 76 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट दिया गया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी महाराष्ट्र को प्रोजेक्ट देने की बात बताई। जाहिर है कि भाजपा को चिंता है कि भेदभाव का मैसेज महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा नुकसान कर सकता है। पहले ही वहां यह माहौल बना हुआ है कि महाराष्ट्र के ज्यादातर प्रोजेक्ट गुजरात शिफ्ट किए जा रहे हैं। इसका नुकसान लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुआ था। महाराष्ट्र की तरह हरियाणा और झारखंड का कोई जिक्र सुनाई नहीं दिया है। लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि इन दो राज्यों के बारे में केंद्र की ओर से बताया जाएगा कि इनको क्या मिला है।