बहुजन समाज पार्टी चुनाव तो लड़ती है लेकिन पिछले काफी समय से वह राजनीति से दूर हो गई थी। पार्टी की ओर से कोई राजनीतिक अभियान नहीं चलाया जाता था। हर बार बिना तैयारी या जमीनी संगठन के पार्टी चुनाव लड़ती है, जिसका नतीजा यह हुआ है कि वह उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से हाशिए की पार्टी हो गई है। अभी राज्य में हुए नौ सीटों के उपचुनाव में पार्टी लड़ी थी लेकिन कई सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। बसपा के मुकाबले चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर रही है। लोकसभा में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि चंद्रशेखर बसपा की पारंपरिक नगीना सीट से जीत गए। तभी ऐसा लग रहा है कि अब मायावती ने पार्टी को सक्रिय किया है। BSP
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लंबे अरसे बाद बहुजन समाज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। संसद में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पर दिए अमित शाह के बयान के खिलाफ बसपा ने आंदोलन किया। पूरे देश में बसपा कार्यकर्ताओं ने मंगलवार, 24 दिसंबर को प्रदर्शन किया। भाजपा के साथ साथ पार्टी ने कांग्रेस पर भी हमला किया और अंबेडकर की विरासत पर अपनी दावेदारी की। इस प्रदर्शन की खास बात यह रही कि मायावती की ओर से साफ निर्देश दिया गया था कि कहीं भी हिंसा नहीं होनी चाहिए।
साथ ही यह भी कहा गया था कि बसपा का कोई भी कार्यकर्ता किसी के मुर्दाबाद का नारा नहीं लगाएगा। तभी प्रदर्शन में किसी के खिलाफ नारेबाजी नहीं हुई और प्रदर्शन मोटे तौर पर डॉक्टर अंबेडकर और कांशीराम के नारों के साथ हुआ। अगर बसपा ऐसी सक्रियता नहीं बनाए रखती है तो खाली जगह भरने के लिए कई पार्टियां तैयार हो रही हैं।