संविधान का मामला भाजपा को भारी पड़ता दिख रहा है। विपक्षी पार्टियां चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी संविधान का मुद्दा छोड़ने को राजी नहीं हैं। पिछले दिनों स्पीकर ने लोकसभा में कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को सख्ती से फटकार लगाई। एक सांसद के शपथ के बाद ‘जय संविधान’ का नारा लगाने पर स्पीकर ने उनको टोका था। इस पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इस पर स्पीकर को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे स्पीकर ओम बिरला नाराज हो गए और हुड्डा को कहा, ‘किस पर आपत्ति करनी है और किस पर नहीं करनी है यह मत सिखाओ, जाओ बैठो’। सोशल मीडिया में इसका बड़ा मुद्दा बन गया। बाद में दीपेंद्र हुड्डा अपने चुनाव क्षेत्र पहुंचे तो हाथ में संविधान की प्रति लेकर रैली की।
हुड्डा ने बड़ा जुलूस निकाला और पूरे समय संविधान हाथ में लिए रहे। इसका लोगों पर असर हो रहा है। एक तरफ सरकार और भाजपा के लोग संविधान की बात पर चिढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर आम लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। सोशल मीडिया के मजाक में यह भी कहा जा रहा है कि अगर विपक्ष ने संविधान हाथ में लेकर ज्यादा राजनीति की तो भाजपा के लोग संविधान का ही विरोध शुरू कर देंगे, जैसे विपक्षी गठबंधन ने ‘इंडिया’ नाम रखा तो भाजपा ने इंडिया छोड़ कर भारत कहना शुरू कर दिया। बहरहाल, संविधान विरोधी कोई भी बात अभी भाजपा को भारी पड़ सकती है क्योंकि अगले तीन चार महीने में चार राज्यों के चुनाव हैं। संविधान पर हो रही राजनीति की काट में भाजपा ने इमरजेंसी का दांव चला लेकिन वह ज्यादा कामयाब नहीं हो सका।