भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक बार फिर राजनाथ सिंह और शिवराज सिंह चौहान के नाम की चर्चा हो रही है। ध्यान रहे राजनाथ सिंह दो बार अलग अलग समय में पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्हीं के अध्यक्ष रहते 2014 में भाजपा की पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। अब 10 साल के बाद भाजपा ने केंद्र में पूर्ण बहुमत गंवा दिया है और माना जा रहा है कि राज्यों में भी भाजपा का संगठन पहले जैसा मजबूत नहीं रह गया है। तभी किसी मजबूत नेता को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चा चल रही है। राजनाथ सिंह के अलावा दूसरा नाम शिवराज सिंह चौहान का है। वे 18 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे और अब केंद्र में कृषि व किसान कल्याण के साथ साथ ग्रामीण विकास जैसे दो भारी भरकम मंत्रालय संभाल रहे हैं।
राजनाथ सिंह और शिवराज सिंह चौहान दोनों संगठन का काम करने वाले हैं और दोनों को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का भी समर्थन हासिल है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के बाद जिस तरह संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान आया या संघ के मुखपत्र में जैसे लेख छपे उसे देखते हुए लग रहा है कि पार्टी के कामकाज के तरीके से संघ खुश नहीं है। इसलिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मजबूरी है कि संघ को भी साथ लेकर चले। तभी कहा जा रहा है कि नए अध्यक्ष के नाम पर संघ की भी मुहर लगेगी। राजनाथ सिंह और शिवराज सिंह चौहान के साथ मुश्किल यह है कि दोनों केंद्र में मंत्री बन गए हैं। उन्हें सरकार से निकालना होगा। जानकार सूत्रों का कहना है कि अभी जेपी नड्डा को सेवा विस्तार देकर काम चलाया जा सकता है और दिसंबर तक प्रदेशों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी करके जनवरी में नए अध्यक्ष के तौर पर राजनाथ या शिवराज में से किसी को चुना जा सकता है। तब तक शिवराज सिंह चौहान झारखंड के चुनाव प्रभारी की भी भूमिका पूरी कर चुके होंगे।