भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह के दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि देश में इस समय दो राज्यों के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और 14 राज्यों की 47 विधानसभा व दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं इसलिए भाजपा अध्यक्ष के चुनाव की चर्चा कम हो रही है। परंतु भाजपा की ओर से संगठनात्मक चुनाव कराने के लिए के लक्ष्मण की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी अपना काम कर रही है और अगले महीने पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। उससे पहले यानी जब तक चुनाव नहीं होता है तब तक हर दिन एक नए दावेदार का नाम सामने आ रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह लेने के लिए अब तक आधा दर्जन से ज्यादा नामों पर सीरियस चर्चा चल रही है।
सबको पता है कि के लक्ष्मण और उनकी कमेटी चुनाव कराएगी लेकिन वे तय नहीं करेंगे कि कौन अध्यक्ष बनेगा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को तय करना है कि कौन राष्ट्रीय अघ्यक्ष होगा। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की भूमिका भी बहुत ज्यादा नहीं रहने वाली है। लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा लगा था कि भाजपा की गतिविधियों संघ की भूमिका बढ़ेगी लेकिन जम्मू कश्मीर और हरियाणा के चुनाव नतीजों के बाद उसकी संभावना कम हुई है। महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों से तय होगा कि वह भूमिका कितनी होगी। फिर भी इतना तय है कि मोदी और शाह को ही संगठन के बारे में फैसला करना है।
संगठन के सर्वोच्च पद यानी पार्टी अध्यक्ष के लिए नया नाम राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का आया है। बताया जा रहा है कि संगठन महामंत्री के तौर पर उन्होंने पूरे देश में पार्टी के नेटवर्क को समझा है और उनके ऊपर मोदी व शाह के साथ साथ संघ का भी भरोसा है। यानी एक समझौते के तहत, सबको संतुष्ट करने के लिए उनके नाम पर सहमति बन सकती है। हालांकि इससे पहले कभी ऐसा हुआ नहीं कि संघ से आए संगठन महामंत्री को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए। दूसरी पीढ़ी के नेताओं में संघ की पसंद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बताए जा रहे हैं। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं और इस वजह से दत्तात्रेय होसबाले और कुछ अन्य पदाधिकारी उनका समर्थन कर रहे हैं। हरियाणा में भाजपा की चमत्कारित जीत के बाद उनका कद और बढ़ा है।
कुछ समय पहले शिवराज सिंह चौहान को सीरियस उम्मीदवार माना जा रहा था। वे भी संघ की पसंद बताए जा रहे हैं। झारखंड में अगर भाजपा जीतती है तो कुछ श्रेय उनको भी मिलेगा। परंतु उनके नाम पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को आपत्ति है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी तीसरी बार भाजपा अध्यक्ष बनने के लिए चर्चा में आया। लेकिन वह चर्चा जल्दी ही थम गई। कहा जा रहा है कि अगर लोकसभा के बाद राज्यों में भाजपा हारती और संघ शिवराज के नाम का दबाव देता तो राजनाथ का नाम किया जा सकता था। दूसरी पीढ़ी के नेताओं में एक दावेदार केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव हैं। वे महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा रहे हैं और अगर भाजपा जीतती है तो उनकी दावेदारी मजबूत होगी। उनके साथ ही विनोद तावड़े और देवेंद्र फड़नवीस के नाम की भी चर्चा होती रही है। इन नामों के अलावा कोई नया और चौंकाने वाला नाम आ जाए तब भी हैरानी नहीं होगी। जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम भी गाहे बगाहे चर्चा में आता रहता है।
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