राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

खट्टर के बाद किसकी बारी?

Manohar Lal Khattar

पिछले 10 साल में मनोहर लाल खट्टर दूसरे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और उनको अगले कार्यकाल के लिए फिर मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके अलावा सिर्फ योगी आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनको पांच साल के राज के बाद फिर सीएम बनाया गया। बाकी राज्यों में या तो पांच साल के बाद भाजपा की सरकार नहीं बनी, जैसे महाराष्ट्र, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में या जिन राज्यों में लंबे समय से भाजपा की सरकार थी वहां सरकार रिपीट नहीं हुई, जैसे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में। इसके अलावा जिन राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री रिपीट हुए वो मुख्यमंत्री चुनाव से पहले बने थे यानी उनका पहला कार्यकाल पांच साल का नहीं रहा था। Manohar Lal Khattar

यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा

मिसाल के तौर पर उत्तराखंड है, जहां 2017 में जीतने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने लेकिन 2022 के चुनाव से पहले तीरथ सिंह रावत और फिर पुष्कर सिंह धामी सीएम बने। धामी चुनाव से महज तीन महीने पहले मुख्यमंत्री बने थे और 2022 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी सीएम बने। इसी तरह गुजरात में 2017 के चुनाव से पहले आनंदी बेन पटेल को हटा कर विजय रुपानी को और 2022 के चुनाव से पहले रुपानी को हटा कर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान 2020 में सीएम बने थे और 2023 के चुनाव में भारी भरकम जीत के बावजूद नहीं बन पाए।

यह भी पढ़ें: क्या सैनी से भाजपा के हित सधेगें?

एक कर्नाटक को छोड़ दें तो हर जगह चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने का भाजपा का दांव कामयाब होता रहा है। कर्नाटक में दो अलग अलग विधानसभाओं में बीएस येदियुरप्पा को हटा कर दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनाया गया और उसकी कमान में भाजपा नहीं जीत सकी। इसके अलावा एक निष्कर्ष यह भी है कि मुख्यमंत्रियों का औसत कार्यकाल पांच साल या उससे कम रहता है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कमान संभालने से पहले ऐसा नहीं था। बहरहाल, इस लिहाज से मनोहर लाल खट्टर का कार्यकाल अपेक्षाकृत लंबा रहा है। वे नौ साल चार महीने तक मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है।

यह भी पढ़ें: इजराइल ने अपना कमाया सब गंवाया!

तभी सवाल है कि क्या योगी आदित्यनाथ अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर पाएंगे? क्या उनको  2027 तक मुख्यमंत्री बनाए रखा जाएगा? भाजपा का मौजूदा नेतृत्व आमतौर पर चुनाव से पहले एंटी इन्कम्बैंसी खत्म करने के नाम पर मुख्यमंत्रियों को बदलता है। लेकिन कई बार बदलाव के पीछे आंतरिक तनाव और दबाव भी काम करते हैं। पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती के तौर पर उभर रहे नेताओं को दूसरे कारणों से भी सत्ता से दूर रखा जाता है, जैसे महाराष्ट्र में मौका मिलने पर देवेंद्र फड़नवीस सीएम नहीं बने और मध्य प्रदेश में भारी भरकम जीत के बावजूद शिवराज सिंह चौहान को कमान नहीं मिली। इसी श्रेणी में योगी आदित्यनाथ भी आते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे मनोहर लाल खट्टर का रिकॉर्ड तोड़ पाते हैं य नहीं।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *