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ओटीपी के सिस्टम से सदस्य बनाना मुश्किल

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भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान जोर नहीं पकड़ पा रहा है। सदस्यता अभियान दो सितंबर को शुरू हुआ था। इसका मतलब है कि एक महीने से ज्यादा बीत गए हैं और अब 20 दिन से कम का समय बचा है। भाजपा ने 10 करोड़ सदस्य बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया था, जिससे वह अभी बहुत पीछे है। भाजपा के नेता और कार्यकर्ता इसे लेकर कई तरह की बातें बता रहे हैं। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव थोड़े दिन पहले ही खत्म हुआ है और सारे नेता व कार्यकर्ता थके हुए हैं। ऊपर से जनता का भी मोहभंग है। जनता में भाजपा को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। लोग सदस्य बनाए जाने के अभियान को एक जबरदस्ती की तरह देख रहे हैं और कहीं भी भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं का स्वागत नहीं हो रहा है। ऊपर से मोबाइल नंबर लेना और उस पर ओटीपी भेजा जाना अलग मुसीबत का कारण बना है।

बिहार में सदस्यता अभियान में जुड़े भाजपा के एक नेता ने बताया कि मोबाइल नंबर लेने और उस पर ओटीपी मंगा कर सदस्यता कन्फर्म कराना बहुत मुश्किल काम हो गया है। लोग डिजिटल फ्रॉड को लेकर आशंकित हैं। उनको लग रहा है कि ओटीपी के जरिए उनके खाते से पैसा निकाला जा सकता है। ध्यान रहे यूपीआई, गूगल पे आदि का इस्तेमाल करने वाले लोगों की बैंकिंग मोबाइल फोन नंबर और ओटीपी से ही होती है। तभी अगर सदस्य बनाने के लिए पहुंचा नेता बहुत अच्छा जानकार नहीं है तो लोग सदस्य नहीं बन रहे हैं। बिहार में कई जगह लोगों ने सचमुच पैसा निकाल लिए जाने की शिकायत की है। हालांकि भाजपा के सदस्यता अभियान के लिए ओटीपी मंगाने से उनके खाते में फ्रॉड हुआ हो ऐसा नहीं है लेकिन लोग इसे उसके साथ जोड़ रहे हैं। तभी भाजपा के कार्यकर्ता और नेता भी लोगों के पास जाकर सदस्य बनाने से हिचक रहे हैं क्योंकि लोग लड़ने लग रहे हैं। बाकी गुजरात में तो अस्पतालों में इंजेक्शन और टीका लगाने के समय भी भाजपा का सदस्य बन जाने का ओटीपी आ रहा है।

By NI Political Desk

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