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भाजपा का सीएजी फॉर्मूला बहुत कारगर नहीं

BJP CAG ReportImage Source: ANI

BJP CAG Report: अरविंद केजरीवाल का राजनीति में उदय केंद्रीय नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट से हुआ था।

उस समय विनोद राय सीएजी थे, पता नहीं अब कहा हैं, लेकिन उन्होंने सीएजी रहते बहुत कमाल की रिपोर्टें दी थीं।

एक रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि तब की यूपीए सरकार ने जिस तरह से 2जी स्पेक्ट्रम आवंटित किए उससे भारत सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान हुआ है।

उन्होंने इसी तरह कोल ब्लॉक्स के आवंटन में कथित गड़बड़ियों से तीन लाख 30 हजार करोड़ रुपए के अनुमानित नुकसान का आकलन किया था।

इस अनुमानित या काल्पनिक नुकसान के आंकड़ों का इस्तेमाल करके केजरीवाल ने अन्ना हजारे का आंदोलन कराया था।

इंडिया अगेंस्ट करप्शन की पूरी मुहिम इस अनुमानित नुकसान के नाम पर चली थी। सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर ही राजनीति करके केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए और भाजपा केंद्र की सत्ता में आई।

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अब भारतीय जनता पार्टी वही सीएजी का दांव केजरीवाल पर आजमा रही है। केजरीवाल को पता था कि सीएजी की रिपोर्ट उनकी सरकार के कामकाज की पोल खोल सकती है तभी ईमानदारी की बात करने वाले केजरीवाल ने सीएजी की रिपोर्ट ही विधानसभा में नहीं पेश होने दी।

अब चुनाव हो रहे हैं तो रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं हो सकती है। तभी अब कथित तौर पर रिपोर्ट लीक कराई जा रही है और हर बार लीक रिपोर्ट सबसे पहले भाजपा को मिल रही है।

क्यों मिल रही है यह कहने की बात नहीं है। सीएजी की लीक रिपोर्ट के आधार पर भाजपा ने कहा कि केजरीवाल ने अपने रहने के लिए छह, फ्लैग स्टाफ रोड पर बंगले का रेनोवेशन कराया, जिस पर कम से कम 33 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

सीएजी ने विस्तार से इसके बारे में रिपोर्ट दी है। अब सीएजी की आबकारी विभाग वाली रिपोर्ट लीक हुई है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली की शराब नीति बनाने में जो गड़बड़ियां हुईं, उसके लिए जिम्मेदार केजरीवाल और उनके तत्कालीन आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया थे।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शराब नीति में हुए घोटाले से दिल्ली सरकार को 2,026 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

अनुमानित नुकसान के नाम पर शुरू हुई केजरीवाल की राजनीति घूम फिर कर अनुमानित नुकसान तक पहुंच गई है।

हालांकि सीएजी रिपोर्ट का बहुत फायदा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि पिछले 10 साल में बाकी संस्थाओं की तरह उसका भी इतना अवमूल्यन हो गया है कि लोग उसकी बातों को गीता, कुरान या बाइबल की बातों की तरह नहीं ले रहे हैं।

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By NI Political Desk

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