यह अभूतपूर्व बात है कि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश, जो अमेरिका को दोस्त मानता हो और जिसके प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपतियों से गले लग कर मिलते हों उस देश में सत्तारूढ़ पार्टी सीधे अमेरिका पर आरोप लगाए कि वह भारत विरोधी एजेंडा चला रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां तक कहा कि अमेरिका का विदेश विभाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी एजेंडा चलाता है। वह डीप स्टेट की मदद करता है और भारत विरोधी अभियान चलाने वाली संस्थाओं की मदद करता है।
ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट यानी ओसीसीआरपी पर हमला करना समझ में आता है। उसको मिलने वाली जॉर्ज सोरोस की फंडिंग या राहुल गांधी के इस संस्था की रिपोर्ट के हवाले बार बार केंद्र सरकार पर हमला करने को मुद्दा बनाना भी समझ में आता है। लेकिन सीधे अमेरिकी सरकार को कठघरे में खड़ा करना समझ में नहीं आने वाली बात है।
Also Read: मोदी, अडानी पर विपक्ष का अनोखा प्रदर्शन
तभी अमेरिका ने इसे निराशाजनक बताया कि भारत में सत्तारूढ़ पार्टी इस तरह के आरोप लगा रही है। अगर इस बात पर यकीन किया जाए कि राजनीति में कुछ भी अनायास नहीं होता है। सब कुछ डिजाइन किया होता है और खास कर कूटनीति में तो और सारी बातें किसी न किसी मकसद से कही जाती हैं तो इसका मतलब है कि भाजपा ने जो कुछ कहा है उसके पीछे कोई मकसद है।
क्या मकसद हो सकता है?भारत का सत्तारूढ़ दल अमेरिका में विदा ले रहे राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रहा है? क्या भाजपा के नेता और देश की सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग भी यह मान रहे हैं कि इससे निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुश होंगे और शाबाशी देंगे? ऐसा सोचा जा रहा हो तो हैरानी नहीं होगी। अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी गलतफमी है। क्योंकि एक तो अमेरिका में राष्ट्रपति कोई हो वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलता है और दूसरे डेमोक्रेटिक पार्टी हमेशा के लिए अमेरिका की सत्ता से बाहर नहीं हो रही है।