Brien Singh Manipur violence, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ताकत दिखाई है। उन्होंने भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चुनौती दी है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने या नया मुख्यमंत्री बनाने की चर्चाओं के बीच बीरेन सिंह ने विधायकों की बैठक बुला कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया। एनडीए विधायकों की बैठक के बाद बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर से आफस्पा हटाए और कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करे। वे चाहते हैं कि कुकी उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चला कर उनका सफाया किया जाए। लेकिन इसका मकसद राजनीतिक है।
वे शांति बहाली के लिए कुकी उग्रवादियों के खिलाफ मुहिम चलाना नहीं चाहते हैं, बल्कि बहुसंख्यक मैती समुदाय के तुष्टिकरण के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। वे कुकी आदिवासी समुदायों के खिलाफ बयानबाजी करके मैती समुदाय को अपने साथ जोड़े रखना चाहते हैं कि भाजपा के आला नेतृत्व को मैसेज देना चाहते हैं कि उनके खिलाफ कार्रावाई हुई तो बहुसंख्यक उनके साथ होंगे।
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बहरहाल, बीरेन सिंह की बुलाई बैठक में एनडीए के 45 में से 27 विधायक हैं। कह सकते हैं कि 18 विधायकों की गैरहाजिरी का मतलब है कि मुख्यमंत्री उतने मजबूत नहीं हैं, जितने दिख रहे हैं। लेकिन ये वो विधायक हैं, जो पहले ही मुख्यमंत्री बदलने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिख चुके हैं। कहा जा रहा है कि इनको ऊपर से शह मिल रही है। इसके बावजूद बीरेन सिंह के साथ 27 विधायकों का मौजूद रहना बड़ी बात है।
भाजपा की सहयोगी एनपीएफ के पांच विधायकों ने बीरेन सिंह का समर्थन किया है। इतना ही नहीं उनकी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले एनपीपी के भी सात में से दो विधायक बीरेन सिंह की बैठक में मौजूद थे। तभी बीरेन सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाति हैं यानी आफस्पा नहीं हटता है और कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो एनडीए के विधायक फैसला करेंगे और राज्य की जनता फैसला करेगी। अब देखना है कि उनके इस चैलेंज को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कैसे लेता है। उनको हटाया जाता है या सरेंडर किया जाता है!