बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति की धुरी लालू प्रसाद हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कहा जा रहा है कि उनका दौर समाप्त हो गया है। इस साल राज्यसभा चुनाव के लिए जब मनोज झा के नाम का फिर फैसला हुआ और दूसरा नाम तेजस्वी यादव के सहयोगी और हरियाणा के रहने वाले संजय यादव का तय हुआ तो इस बात की चर्चा तेज हुई कि अब राजद में तेजस्वी युग शुरू हो गया। लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। लालू प्रसाद अब भी सक्रिय हैं और राजनीतिक फैसले कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव अलग अलग राजनीति करते दिख रहे हैं लेकिन दोनों का लक्ष्य एक है। जानकार सूत्रों का कहना है नीतीश कुमार के प्रति लालू प्रसाद नरम रवैया रखे हुए हैं, जबकि योजना के तहत तेजस्वी ने सख्त रुख अख्तियार किया है। Bihar politics Tejasvi yadav
एक तरफ लालू प्रसाद ने पिछले दिनों मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नीतीश फिर आएंगे तो देखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश के लिए दरवाजा खुला हुआ है। लालू प्रसाद ने नीतीश की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के बारे में कहा कि उनमें कोई कमी नहीं है। दूसरी ओर तेजस्वी यादव अपनी जन विश्वास यात्रा में कह रहे हैं कि नीतीश कुमार थके हुए नेता हैं और उनके पास कोई विजन नहीं है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य नीतीश को सत्ता से हटाने का है।
असल यह ‘गुड कॉप, बैड कॉप’ वाली रणनीति है, जिसमें एक व्यक्ति अच्छा आचरण करता है और दूसरी सख्त रवैया रखता है। लालू प्रसाद को पता है कि आज के समय में नीतीश कुमार के बगैर तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं है। इसलिए वे नीतीश के लिए रास्ता खुला रखना चाहते हैं। लेकिन उनको यह भी पता है कि वोट के लिए और खास कर अपने कोर वोट को एक रखने के लिए जनता के बीच भाजपा के साथ साथ नीतीश के ऊपर भी हमला करना होगा। इसलिए तेजस्वी नीतीश को निशाना बना रहे हैं।
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