बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी है। उन्होंने गिरफ्तारी की बात पर चुनौती देते हुए कहा कि हाथ लगा कर देखें, यह बिहार है, झारखंड या दिल्ली नहीं। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को बिहार की एक रैली में लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दोनों को निशाना बनाते हुए कहा कि बिहार में रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने वालों के जेल जाने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि लालू और तेजस्वी दोनों जेल जाएंगे। इसके बाद ही तेजस्वी का प्रतिक्रिया आई, जिसमें उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए कहा कि यह बिहार है, झारखंड और दिल्ली नहीं। ध्यान रहे केजरीवाल और हेमंत सोरेन दोनों तेजस्वी के साथ एक ही गठबंधन में हैं तो जब तेजस्वी ने दिल्ली और झारखंड में दोनों नेताओं के समर्थन को कमतर करके दिखाया तो उनको कैसा लगा होगा?
तेजस्वी की चुनौती का क्या मतलब है यह किसी को समझने में कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने यह मैसेज दिया कि अगर हाथ लगाया तो हंगामा हो जाएगा। लोग सड़कों पर उतरेंगे। उनकी पार्टी राजद की प्रचलित शब्दावली में कहें तो आग लग जाएगी। लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? ध्यान रहे भ्रष्टाचार के मामले में इस्तीफा देकर गिरफ्तार होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद थे। उनके समय भी ऐसा लग रहा था कि उन्हें पकड़ा तो आग लग जाएगी। तभी उस समय के सीबीआई अधिकारी यूएन बिस्वास ने सेना बुलाने के लिए लिख दिया था। लेकिन जब लालू गिरफ्तार हुए तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। ध्यान रहे भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तारी पर आंदोलन नहीं होता है। यह भी गौर करने वाली बात है कि तेजस्वी ने पहले जांच एजेंसियों के अधिकारियों को भी चेतावनी दी थी, जो मामला दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट तक पहुंचा था। बहरहाल, प्रधानमंत्री को चुनौती देना एक गंभीर मामला है। क्या तेजस्वी को लग रहा है कि इससे उनको राजनीतिक फायदा होगा? यह देखना होगा। लेकिन यह जरूर है कि अगर ‘इंडिया’ ब्लॉक चुनाव नहीं जीतता है तो चुनाव बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।