बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत ठीक नहीं है। इसमें अब कोई संदेह नहीं रह गया है। कम से कम उनकी प्रगति यात्रा के दौरान जो वीडियो फुटेज आ रही हैं और वायरल हो रही हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि उनके साथ कुछ समस्या है। शारीरिक रूप से वे सक्षम और फिट दिख रहे हैं लेकिन समस्या मानसिक स्वास्थ्य की है। तभी जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर ने उनके मानसिक स्वास्थ्य की रिपोर्ट जारी करने की बात कही और उसके बाद चैलेंज किया कि नीतीश अपने सभी मंत्रियों के नाम बिना कागज देखे नहीं बता सकते हैं। तेजस्वी यादव ने नीतीश को लेकर इस तरह की कई टिप्पणियां की हैं। इसके बावजूद अपने स्वार्थ में, परोक्ष रूप से सत्ता संभाल रहे नीतीश के करीबी लोग उनको आराम नहीं दे रहे हैं। वे उनका इस्तीफा नहीं होने दे रहे हैं क्योंकि उनको लग रहा है कि नीतीश के हटते ही सत्ता उनके हाथ से छिन जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने खुल कर कहा कि बिहार में जदयू के दो नेता और दिल्ली में दो नेता सत्ता चला रहे हैं और कुछ रिटायर अधिकारी हैं। इन छह या सात लोगों का अपना स्वार्थ है, जिसकी पूर्ति के लिए वे नीतीश कुमार का मजाक बनवा रहे हैं। वे उनको बनाए रखना चाहते हैं ताकि उनकी सत्ता चलती रहे। उन्होंने नीतीश कुमार का बोलना बंद करा दिया है लेकिन जहां वे जा रहे हैं वहां कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिससे उनका मजाक बन रहा है। पिछले दिनों 30 जनवरी को वे पटना में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने गए तो फूल चढ़ाने के बाद बच्चों की तरह ताली बजाने लगे। बगल में खड़े विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने हाथ पकड़ कर उनका ताली रुकवाई। इसी तरह वे बेगूसराय गए तो खिलाड़ी के गले में मेडल पहनाने की जगह वे मेडल के साथ दिया जाने वाला थैला उसके गले में डालने लगे। वे अपने मंत्रियों के नाम भूल रहे हैं। अधिकारी बगल में खड़े होते हैं और वे उनका नाम भूल जाते हैं। ऐसी अनेक घटनाओं को वीडियो सार्वजनिक स्पेस में हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीतीश कुमार ने बिहार को बदला है। उन्होंने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासन के जंगल राज से बिहार को मुक्ति दिलाई। बिहार से बाहर रहने वालों को गर्व का मौका दिया। लालू और राबड़ी की वजह से बिहारी शब्द मजाक का विषय बन गया था उसे नीतीश ने बदला। उन्होंने बिहार में कानून का राज बहाल किया और सचमुच सुशासन की शुरुआत की। उन्होंने अनेक ऐसे फैसले किए, जो मील का पत्थर बने। उन्होंने बिहार पुलिस में महिलाओं का आरक्षण लागू किया, जिससे आज देश के किसी भी राज्य के मुकाबले बिहार में ज्यादा महिला पुलिसकर्मी हैं। उन्होंने स्थानीय निकाय में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित कीं। बिहार के कमजोर, दलित, वंचित समुदायों के लिए उन्होंने काम किया और अल्पसंख्यकों को भी अलग थलग नहीं होने दिया। लेकिन अब उनकी जो स्थिति है उससे उनकी सारी पुण्यता और उपलब्धियों पर पानी फिर रहा है। उनको अब निश्चित रूप से रिटायर हो जाना चाहिए। लेकिन वे नहीं हो सकते हैं क्योंकि उनके बदले में फैसले दूसरे लोग कर रहे हैं और उन सबका अपना स्वार्थ है।