बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्या रिटायर करने की तैयारी हो रही है? नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक शनिवार, पांच अक्टूबर को पटना में हुई। इस बैठक से पहले पार्टी कार्यालय के सामने और पटना के अन्य हिस्सों में नीतीश कुमार को भारत रत्न देने के पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए गए। जदयू के नेताओं ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग की। सबसे दिलचस्प बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने तुरंत इसका स्वागत किया। प्रदेश भाजपा के नेताओं ने कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है। यानी नीतीश को भारत रत्न मिलना चाहिए।
ध्यान रहे इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और अति पिछड़ा समाज के नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस समय इसका ऐलान किया उस समय नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल के साथ थे लेकिन उसी समय यह तय हो गया कि अब वे गठबंधन बदल करेंगे और भाजपा के साथ सरकार बनाएंगे। ठीक उसी तरह से नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग उठने के साथ ही यह कहा जाने लगा है कि अगर उनको यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलता है तो इसका मतलब है कि वे सक्रिय राजनीति से रिटायर होंगे। उसके बाद उनकी पार्टी का अस्तित्व रहेगा या नहीं इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब सवाल है कि क्या नीतीश खुद इसे अपने रिटायरमेंट प्लान के तौर पर देख रहे हैं और रिटायर होने को तैयार हैं? दूसरा सवाल यह है कि उनकी पार्टी में इस तरह के मामलों में फैसला कौन कर रहा है? यह सवाल इसलिए है क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यह निश्चित रूप से भाजपा की योजना के तहत होगा।
जानकार सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार की पार्टी भी इन दिनों मोटे पर भाजपा ही संचालित कर रही है। एक समय था, जब बिहार भाजपा को भी नीतीश कुमार चलाते थे लेकिन आज अपनी सेहत की वजह से वे पूरी तरह से पार्टी की कमान में नहीं हैं। तभी ऐसे लोग उनकी पार्टी चला रहे हैं, जो या तो वैचारिक रूप से भाजपा के नजदीक हैं या केंद्रीय एजेंसियों की वजह से भाजपा का समर्थन करने और भाजपा के हिसाब से काम करने की जिनकी मजबूरी है। तभी कहा जा रहा है कि भले नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग करने के पोस्टर और होर्डिंग्स जनता दल यू की ओर से पूरे पटना में लगाए गए हैं लेकिन इसके पीछे आइडिया भाजपा का ही है। कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर से उन लोगों को आइडिया दिया गया, जो इस समय जनता दल यू के कर्ताधर्ता हैं। उन्होंने फिर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि इस तरह की मांग की जाए। उसके बाद नीतीश अपनी पार्टी की कार्य समिति की बैठक में पहुंचे, जहां उन्होंने कहा कि अगले साल चुनाव में एनडीए 2010 से भी ज्यादा सीटें जीतेगा। गौरतलब है कि 2010 में एनडीए को 243 में से 206 सीटें मिली थीं। ऐसा लग रहा है कि प्रशांत किशोर की ओर से खड़ी की गई चुनौती का जवाब देने के लिए 2010 से ज्यादा सीट जीतने की बात कही गई। 2010 में मुकाबला आमने सामने का था और नीतीश के सुशासन की राजनीति का स्वर्णिम समय था। अब वे, उनकी पार्टी, सरकार सब ढलान पर हैं और तीसरी ताकत के तौर पर प्रशांत किशोर का उदय हो गया है।