बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले भाजपा के साथ समझौता कर लिया है और यह माना जा रहा है कि वे बहुत कमजोर हो गए हैं। लेकिन हकीकत यह है कि वे बिहार की राजनीति पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ रहे हैं। इसका एक संकेत विभागों के बंटवारे में दिखा। उन्होंने गृह और सामान्य प्रशासन का विभाग अपने पास रखा। ध्यान रहे बिहार की नौकरशाही नीतीश की बड़ी ताकत है। वे अपने हिसाब से अधिकारियों की पोस्टिंग करते हैं और उनसे काम कराते हैं। मंत्रियों का ज्यादा मतलब नहीं होता है। तभी कहा जा रहा था कि इस बार एनडीए में उनकी वापसी की बातचीत में भाजपा ने यह शर्त रखी थी कि गृह या सामान्य प्रशासन में से कोई एक विभाग उनके पास रहेगा। लेकिन नीतीश ने दोनों विभाग अपने पास रखे।
गौरतलब है कि 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही नीतीश ने हमेशा ये दोनों विभाग अपने पास रखे हैं। इस बार भी ये दोनों विभाग उनके पास हैं और साथ ही अपनी पार्टी के कोटे वाले सारे मंत्रालय भी उन्होंने अपने मंत्रियों को दिए हैं। भाजपा को वही मंत्रालय मिला है, जो पहले भी जदयू के साथ रहते हुए मिलता रहा है। इसी तरह सीट बंटवारे में नीतीश कुमार पीछे नहीं हट रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे 12 सीट पर राजी हो जाएंगे लेकिन उनकी पार्टी के नेता इसे भाजपा का प्रचार बता रहे हैं। उनका कहना है कि पिछली बार भाजपा ने जदयू के लिए 17 सीटें छोड़ी थीं और इस बार भी नीतीश उसके आसपास ही सीट लेंगे। इस बार कुछ ज्यादा सहयोगी पार्टियों को एडजस्ट करना है तो उसके लिए भाजपा और जदयू दोनों सीट छोड़ेंगे।