मेडिकल में दाखिले के लिए ही नीट-यूजी की परीक्षा के पेपर लीक होने और दूसरी गड़बड़ियों से लाखों बच्चों का भविष्य अधर में फंसा है। इस मामले में बिहार पुलिस की जांच सबसे अहम है क्योंकि उसी ने इसका खुलासा किया है और इस बात के सबूत जुटाए हैं कि पेपर लीक हुआ था। आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। लेकिन बिहार के नेता बच्चों के भविष्य की चिंता करने की बजाय राजनीतिक दांवपेंच में लगे हैं। भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। उन्हें इस बात से मतलब नहीं दिख रहा है कि ऐसे आरोप प्रत्यारोप से जांच प्रभावित होगी, जिसका असर लाखों बच्चों के जीवन पर पड़ेगा।
तभी जांच पूरी होने से पहले ही भाजपा के नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कह दिया कि पेपर लीक हुआ है और इसमें विपक्षी पार्टी राजद के लोग शामिल हैं। असल में यह खबर आई थी कि इस मामले में गिरफ्तार आरोपी सिकंदर प्रसाद यादवेंदु का निकट संबंध नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के पीए प्रीतम कुमार से है और प्रीतम ने ही पटना हवाईअड्डे के पास एक सरकारी गेस्ट हाउस में यादवेंदु के लिए कमरा बुक कराया था। वहीं से पेपर लीक का कांड हुआ। बताया जा रहा है कि अनुराग यादव नाम के एक परीक्षार्थी ने मान भी लिया कि उसे एक दिन पहले पेपर मिल गया था। इस आधार पर भाजपा के नेता तेजस्वी और राजद को फंसाने में लग गए। इस बीच अचानक एक दूसरे आरोपी अमित आनंद का नाम सामने आया और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ उसकी एक तस्वीर वायरल होने लगी, जिसे राजद और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने बड़ा मुद्दा बना दिया। किसी नेता के साथ किसी भी व्यक्ति की तस्वीर हो यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन विपक्ष को अपने ऊपर से ध्यान हटाने के लिए एक बहाना मिल गया। इस राजनीतिक खींचतान में मूल मुद्दा गायब हो गया है।