अनुसूचित जाति यानी एससी के आरक्षण में वर्गीकरण का मसला बिहार में बहुत तूल पकड़े हुए है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के दो घटक दलों के बीच घमासान मचा है। एक अगस्त को जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण की मंजूरी दी थी तभी से जीतन राम मांझी और चिराग पासवान में घमासान छिड़ा था। जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद हुआ तो मांझी की पार्टी ने इसका विरोध किया, जबकि चिराग पासवान की पार्टी ने समर्थन किया। असल में बिहार या देश के दूसरे हिस्सों में भी मजबूत अनुसूचित जातियों को आरक्षण का ज्यादा लाभ मिलता है और चिराग पासवान ऐसी ही एक मजबूत दलित जाति के नेता हैं।
बिहार में नीतीश कुमार ने दलित और महादलित का विभाजन पहले कर दिया था, जिसमें दलित में सिर्फ पासवान हैं और बाकी सभी दलित जातियां महादलित में हैं। बहरहाल, जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। लेकिन बिहार में इमामगंज विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में चिराग पासवान प्रचार करने नहीं गए। वे भाजपा के उम्मीदवार के प्रचार में गए लेकिन इमामगंज में जहां से जीतन राम मांझी की पार्टी से उनकी बहू दीपा मांझी चुनाव लड़ रही हैं वहां चिराग प्रचार करने नहीं गए। कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में 20 हजार के करीब पासवान वोट हैं, जिनको यह मैसेज हो गया है कि मांझी की बहू के खिलाफ वोट करना है। वहां जन सुराज की टिकट पर प्रशांत किशोर ने जितेंद्र पासवान को उम्मीदवार बनाया है। वहां पासवान वोट उधर जा सकता है। ऐसा हुआ तो मांझी और चिराग में विवाद और बढ़ेगा।