बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद से जनता दल यू और राष्ट्रीय जनता दल के बीच दांवपेंच चल रहे हैं। राजद नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने कुशवाहा समाज के अभय कुशवाहा को लोकसभा में सदन का नेता बनाया तो जवाब में नीतीश कुमार ने अत्यंत पिछड़ी जाति से आने वाले दिलकेश्वर कामत को लोकसभा में नेता बनाया है। गौरतलब है कि लोकसभा में जदयू के 12 सांसद हैं। उनमें कई वरिष्ठ सांसद भी हें। लेकिन नीतीश ने सुपौल से जीते कामत को नेता बना कर एक संदेश दिया है। हालांकि इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह को नेता क्यों नहीं बनाया?
ध्यान रहे ललन सिंह 17वीं लोकसभा में जनता दल यू के नेता थे। इसी दौरान वे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। तभी उनका दावा सबसे पहले था। हालांकि वे केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। लेकिन केंद्रीय मंत्री बनना सदन में पार्टी का नेता बनने में बाधा नहीं है। आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा राज्यसभा में सदन के नेता हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश ने पहले ही अत्यंत पिछड़ी जाति के रामनाथ ठाकुर को केंद्र में मंत्री बना दिया है। फिर दिलकेश्वर कामत को क्यों नेता बनाया? ऐसा लग रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में ही लालू ने कोईरी जाति पर फोकस किया है तो नीतीश अपने अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने में लगे हैं। नीतीश कुमार ने पहली बार राज्यसभा में पहुंचे संजय झा को उच्च सदन का नेता बनाया है।