बिहार में चार सीटों के उपचुनाव में चारों सीटें एनडीए ने जीत ली है। इन चार में से पहले उसके पास सिर्फ एक सीट थी। यानी उसने तीन सीटें राजद और कांग्रेस के गठबंधन से छीनी हैं। फिर भी एनडीए के भीतर चल रहे खींचतान को लेकर गठबंधन के अंदर चिंता है। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा और एनडीए ने छोटी सहयोगी पार्टियों के साथ तालमेल बेहतर करने के लिए अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इसकी पहल दोनों केंद्रीय मंत्रियों से होनी चाहिए। हम के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी एक तरफ हैं तो दूसरे केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान एक तरफ हैं। इन दोनों में घमासान छिड़ा है।
इन दोनों के घमासान का असर इमामगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में दिखा। यह जीतन राम मांझी की पारंपरिक सीट है। लेकिन उपचुनाव में उनकी बहू के लिए मुश्किल हो गई थी क्योंकि चिराग प्रचार के लिए नहीं गए और उन्होंने प्रशांत किशोर की तारीफ करके अपने समर्थकों को इशारा कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के जितेंद्र पासवान की तरफ पासवान वोट शिफ्ट हो गया। उनको 35 हजार से ज्यादा वोट मिले। इससे राजद के रोशन मांझी मजबूत हुए थे। असल में अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण के मसले पर दोनों में मतभेद है। चिराग इसका विरोध कर रहे हैं तो मांझी ने समर्थन किया है। यह दलित और महादलित की पारंपरिक लड़ाई है। इसे सुलझाए बगैर 20 फीसदी दलित वोट की राजनीति मुश्किल हो जाएगी।