Bihar politics: बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम अचानक तेज हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 दिसंबर से प्रगति यात्रा पर निकलने वाले हैं।
उससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपनी एक बड़ी बैठक दिल्ली में बुलाई है। प्रदेश भाजपा के सारे बड़े नेता दिल्ली में जुटे हैं।
इस बीच बड़ा घटनाक्रम यह हुआ कि 19 और 20 दिसंबर के दो दिन के बिहार बिजनेस कनेक्ट, 2024 में मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए।
इस कार्यक्रम का प्रचार महीनों से हो रहा था। देश भर के उद्योगपति पटना पहुंचे थे। दूसरे राज्यों में मुख्यमंत्री कारोबारियों से मिलते जुलते हैं और उन्हें भरोसा दिलाते हैँ।
लेकिन मुख्यमंत्री ने तो औपचारिक कार्यक्रम में शामिल हुए और न अनौपचारिक मुलाकातें कारोबारियों के साथ की।
दोनों दिन बिहार बिजनेस कनेक्ट का कार्यक्रम भाजपा का कार्यक्रम बन कर रह गया। पहले दिन उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री सम्राट चौधरी की मौजूदगी में कार्यक्रम शुरू हुआ।
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दूसरे उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा और उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा मौजूद रहे। ये तीनों भाजपा के नेता हैं। यह उद्योग मंत्रालय का कार्यक्रम था, जिसके मुख्य अतिथि नीतीश कुमार थे। 20 दिसंबर को अखबारों में विज्ञापन छपा की सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री बिहार बिजनेस कनेक्ट कार्यक्रम में शामिल होंगे।
लेकिन उसके साथ ही यह भी विज्ञापन था कि मुख्यमंत्री सवा 12 बजे राजगीर पहुंचेंगे। इसी से खटका हुआ कि सवा घंटे के अंदर निवेशक सम्मेलन में शामिल होकर राजगीर कैसे पहुंचेंगे मुख्यमंत्री?
फिर 11 बजते बजते कहा गया कि मुख्यमंत्री को सर्दी, जुकाम हो गया है और इसलिए उनके सारे कार्यक्रम रद्द किए जा रहे हैं।
सोचें, अगर किसी राज्य में इतना महत्वाकांक्षी कार्यक्रम हो रहा है तो वायरल फीवर के आधार पर मुख्यमंत्री का जाना टल सकता है?
बीमारी गंभीर या बीमारी (Bihar politics)
या तो बीमारी गंभीर है, जिसकी चर्चा लगातार हो रही है या फिर बीमारी राजनीतिक है, जैसी नीतीश कुमार को अक्सर होती रहती है।
बहरहाल, मुख्यमंत्री की गैरहाजिरी में एक लाख 80 हजार करोड़ रुपए के समझौतों पर दस्तखत हुए लेकिन सबको पता है कि इस तरह के निवेश समझौते तभी कामयाब होते हैं, जब राजनीतिक स्थिरता हो, बुनियादी ढांचा हो और मुख्यमंत्री खुद भरोसा दिलाए।
मुख्यमंत्री के नहीं जाने से राजनीतिक स्थिरता भी सवालों के घेरे में है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के अपने नेताओं की एक बैठक दिल्ली में बुलाई।
शनिवार और रविवार दो दिन की बैठक में बिहार की राजनीति पर चर्चा होनी है। एक तरफ राजद और कांग्रेस के लोग यह नैरेटिव बना रहे हैं कि नीतीश नाराज हैं और वापस महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
तो दूसरी ओर चर्चा है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन होना है और नीतीश की सहमति से भाजपा का मुख्यमंत्री बनेगा।Bihar politics)
जानकार सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार के आसपास फैसला करने वाले जितने भी लोग हैं, सब भाजपा के प्रति सद्भाव रखने वाले हैं और वे किसी हाल में नीतीश को दूसरी तरफ नहीं जाने देंगे।
लेकिन भाजपा के हाथ में भी सत्ता जाती है तो परदे के पीछे से सरकार चला रहे नीतीश के तमाम लोग भी पैदल होंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीतीश की सेहत ठीक नहीं है।
तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि वे 23 दिसंबर से यात्रा पर निकलते हैं या नहीं और निकलते हैं तो लोगों से उनकी मेल मुलाकात कैसी होती है?
जो हो बिहार में राजनीति तेज हो गई है। मकर संक्रांति के बाद राजनीति और तेजी से बदलेगी।Bihar politics)