बिहार में विधानसभा चुनाव समय से पहले हो सकते हैं। अभी तक भारतीय जनता पार्टी इस आइडिया का विरोध कर रही थी लेकिन कहा जा रहा है कि वह भी इसके लिए तैयार हो गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो काफी समय से इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। अगस्त 2022 में जब वे जब एनडीए से अलग होकर लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ गए तो उन्होंने राजद से जल्दी चुनाव कराने को कहा। लेकिन लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दोनों तैयार नहीं हुए।
इसका कारण यह था कि उस समय राजद बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी थी और दोनों नेता इस बात को लेकर भरोसे में नहीं थे कि चुनाव का नतीजा क्या होगा। इसी तरह जनवरी 2024 में जब नीतीश वापस एनडीए में लौटे तो उन्होंने भाजपा पर जल्दी चुनाव का दबाव डालना शुरू किया। लेकिन तब तक भाजपा विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी और उसे भी चुनाव कराने में हिचक हो रही थी।
असल में नीतीश कुमार इस बात से आहत हैं कि वे बिहार के सबसे बड़े नेता हैं और मुख्यमंत्री हैं फिर भी उनकी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी है। जनता दल यू ने चिराग पासवान की पार्टी के वोट काटने की वजह से पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ 43 सीट जीत पाई थी। बाद में दो उपचुनाव जीतने से उसकी संख्या 45 हुई। नीतीश किसी तरह से इस स्थिति को जल्दी से जल्दी बदलना चाहते हैं।
कहा जा रहा है कि लोकसभा के उम्मीद के अनुकूल नतीजों के बाद से वे भाजपा नेतृत्व को समझाने में लगे हैं कि चुनाव जल्दी करा लिया जाए। जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा में भी इस पर सहमति बन गई है। भाजपा को लग रहा है कि अगर प्रशांत किशोर को तैयारी का ज्यादा समय मिला तो वे भाजपा और जदयू का नुकसान कर सकते हैं।
तभी कहा जा रहा है कि अगले साल जनवरी में दिल्ली के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव हो सकता है। ध्यान रहे अगले साल सिर्फ दो ही राज्यों के चुनाव हैं। जनवरी में दिल्ली का और नवंबर में बिहार का। इसलिए भी इन दोनों चुनावों को एक साथ कराने की संभावना बढ़ गई है।