बिहार के उपचुनाव में कमाल हो रहा है। जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर ने राजद और जदयू दोनों की नींद उड़ाई है। दोनों को अपने कोर वोट की चिंता सता रही है। असल में इस साल लोकसभा चुनाव में बिहार में एक ट्रेंड देखने को मिला, जिसमें जातियों ने पार्टी का खूंटा तोड़ दिया। कम से कम छह सीटों पर यादवों ने भाजपा को वोट दिया तो चार सीटों पर भूमिहारों ने राजद और कांग्रेस उम्मीदवार को वोट दिया। नीतीश और भाजपा का लव कुश समीकरण भी बिखर गया और कम से कम पांच सीटों पर कुशवाहा मतदाताओं ने भाजपा और जदयू को छोड़ कर राजद, कांग्रेस या सीपीआई माले को वोट दिया। कम से कम चार सीटों पर वैश्यों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। उन्होंने अपनी जाति का उम्मीदवार जिताने के लिए राजद और यहां तक कि माले के उम्मीदवार को भी वोट किया। यह ट्रेंड विधानसभा की चार सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में भी दिख रहा है।
बिहार की चार सीटों में रामगढ़ की सीट प्रतिष्ठा की है क्योंकि तेजस्वी यादव की पार्टी राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह वहां से चुनाव लड़ रहे हैं। जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद बन जाने से यह सीट खाली हुई है। लेकिन इस सीट पर राजद के पुराने नेता अंबिका यादव के बेटे विनोद यादव बसपा से लड़ रहे हैं। सो, रामगढ़ के यादव एकमुश्त वोट उनको दे रहे हैं। इसी तरह बेलागंज सीट पर राजद के बाहुबली और अब जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव लड़ रहे हैं। लेकिन वहां जदयू ने बिंदी यादव की पत्नी और रॉकी यादव की मां मनोरमा देवी को टिकट दिया है। सो, यादव दोनों तरफ जा रहे हैं। लेकिन वहां यादव से ज्यादा लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को मुस्लिम वोट की चिंता है क्योंकि प्रशांत किशोर ने जन सुराज की टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है तो मुसलमान उनकी ओर जा रहे हैं। इस तरह लालू और तेजस्वी का मुस्लिम यादव यानी माई समीकरण बिखर रहा है।