यह लाख टके का सवाल है कि राहुल गांधी अगर पश्चिम से पूरब की यात्रा पर निकलते हैं तो रास्ते में कांग्रेस की सहयोगी या विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेता उसमें जुड़ेंगे? राहुल की पहली यात्रा में तमिलनाडु में सहयोगी पार्टियों के बड़े नेता शामिल हुए थे। खुद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन यात्रा की शुरुआत के समय मौजूद थे। लेकिन महाराष्ट्र में सहयोगी पार्टियों ने दूसरी कतार के नेताओं को भेजा। खुद उद्धव ठाकरे या शरद पवार यात्रा में शामिल नहीं हुए थे। यात्रा के समापन के समय राहुल गांधी ने कश्मीर में रैली की तो वहां भी सहयोगी पार्टियों ने औपचापरिता के लिए कुछ नेताओं को भेज दिया। इस बार जिन राज्यों से यात्रा निकलने की बात हो रही है उसमें से ज्यादातर इलाका सहयोगी पार्टियों के वर्चस्व वाला है।
अभी यात्रा का रूट फाइनल नहीं हुआ लेकिन बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल यात्रा के रूट में आएंगे। पूर्वी उत्तर प्रदेश का भी कुछ हिस्सा इसमें कवर किया जा सकता है। तभी सवाल है कि क्या बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे? ध्यान रहे राहुल की पिछली यात्रा में इन दोनों पार्टियों ने किसी नेता को नहीं भेजा था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर भी सवाल हैं। पिछली बार उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से मंत्री मिथिलेश ठाकुर को यात्रा में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश और बाद में कश्मीर भेजा था। इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में भी कांग्रेस नेता आश्वस्त नहीं हैं कि वे यात्रा में शामिल होंगी या किसी नेता को भेजेंगी। यात्रा की घोषणा से पहले कांग्रेस नेता इस पहलू पर भी विचार कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि यात्रा की घोषणा से पहले सहयोगी पार्टियों के नेताओं से इस बारे में बातचीत की जाएगी।