विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा से दूरी बना रखी है। अभी तक यात्रा 22 दिन चल चुकी है और कोई भी बड़ा विपक्षी नेता उनकी यात्रा में शामिल नहीं हुआ है। अपवाद के लिए कम्युनिस्ट पार्टियों के कुछ नेताओं का नाम लिया जा सकता है, जो पश्चिम बंगाल में राहुल की यात्रा में शामिल हुए। हालांकि वे भी प्रदेश की दूसरी कतार के नेता थे। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पहले कह रखा था कि अगर लेफ्ट पार्टियों के नेता यात्रा में शामिल हुए तो वह यात्रा में हिस्सा नहीं लेगी। अभी तक राहुल गांधी की यात्रा पूर्वोत्तर के पांच राज्यों के अलावा तीन बड़े राज्यों- बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से गुजरी है। यानी आठ राज्यों से गुजरी यात्रा में कोई विपक्षी नेता नहीं शामिल हुआ।
राहुल की यात्रा अभी झारखंड में है और वहां के सबसे बड़े सहयोगी नेता पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी की हिरासत में हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी या उनके भतीजे अभिषेक सहित पार्टी का कोई नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ। जब यात्रा शुरू हुई थी तब नीतीश कुमार गठबंधन का हिस्सा थे और कांग्रेस नेताओं ने प्रचारित किया था कि नीतीश पूर्णिया में 30 जनवरी की रैली में शामिल होंगे। लेकिन उससे पहले नीतीश कुमार पाला बदल कर भाजपा के साथ चले गए। हालांकि लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ अब भी कांग्रेस का गठबंधन है लेकिन राजद का कोई नेता यात्रा में नहीं गया। कांग्रेस के साथ तमाम सद्भाव के बावजूद तेजस्वी यादव भी यात्रा में नहीं गए।
तभी अब सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होंगे? सपा की ओर से कहा गया है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। पहले भी सपा ने कहा था कि कांग्रेस सहयोगी पार्टियों को आमंत्रित नहीं करती है। सपा की आपत्ति के बाद कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि अभी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की यात्रा का प्लान फाइनल नहीं किया है। उसे तय करने के बाद सपा को सूचना दी जाएगी। एक दो दिन में कांग्रेस की ओर से सपा को बता दिया जाएगा कि यात्रा कब उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी, कितने दिन तक रहेगी और जिलों से गुजरेगी।
कांग्रेस नेता उम्मीद कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल फाइनल हो जाएगा और अखिलेश यादव या उनकी पार्टी के बड़े नेता जैसा रामगोपाल या शिवपाल यादव में से कोई यात्रा में शामिल होगा। ध्यान रहे सपा ने अपनी ओर से कांग्रेस के लिए 11 सीटें छोड़ दी हैं, जबकि कुछ दिन पहले अखिलेश यादव अमेठी तक से उम्मीदवार उतारने की बात कर रहे थे। कांग्रेस कुछ और सीटें चाह रही है। अगर अगले दो तीन दिन में सीट का मामला तय हो जाता है तो उसकी साझा घोषणा हो सकती है। उधर जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल में भी कुछ सीटों को लेकर नाराजगी है। उसे भी दूर किया जाना है। उसके बाद दोनों पार्टियों के नेता राहुल की यात्रा में शामिल हो सकते हैं।