दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले बांग्लादेशियों की पहचान करने की होड़ मची है। केंद्र सरकार की एजेंसियां यह काम कर रही हैं तो दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के पास जो भी एजेंसी है उसके जरिए भी यह काम कराया जा रहा है। भाजपा का तो एजेंडा समझ में आता है लेकिन अरविंद केजरीवाल कैसे उसी एजेंडे पर काम कर सकते हैं? गौरतलब है कि भाजपा ने लोकसभा से लेकर हाल में हुए चार राज्यों के चुनावों तक में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों का मुद्दा बनाया था। तभी दिल्ली और बिहार के चुनाव से पहले इन दोनों राज्यों में भी भाजपा ने इसका मुद्दा बनाया है।
दिल्ली के उप राज्यपाल ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह घर घर सर्वे करके बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करे। यह अभियान दिल्ली पुलिस ने शुरू कर दिया है। अलग अलग इलाकों में सैकड़ों की संख्या में बांग्लादेशियों की पहचान हुई है।
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पुलिस कुछ खास इलाकों में जाकर घर घर सर्वे कर रही है और आधार कार्ड या दूसरे पहचान पत्र जांच रही है। आम आदमी पार्टी को इससे चिंता हुई है। उसको लग रहा है कि इससे भाजपा ध्रुवीकरण करा सकती है। तभी उसके नियंत्रण वाले दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी ने सभी एमसीडी स्कूलों को निर्देश दिया कि वह बांग्लादेशी छात्रों की पहचान करे।
एमसीडी के स्कूलों में यह अभियान शुरू भी हो गया है। असल में आम आदमी पार्टी इससे यह मैसेज देना चाहती है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों की समर्थक नहीं है यानी वोट के लिए उनको बसाने का काम वह नहीं करती है। इस तरह व तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब दे रही है। उसका यह दांव उलटा भी पड़ सकता है। अगर मुस्लिम मतदाता उसका साथ छोड़ कर कांग्रेस की ओर जाते हैं तो उसे बड़ा नुकसान हो सकता है।