राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका संकेत दिया है। उन्होंने किसानों के एक कार्यक्रम में कहा कि अभी अभी उनको प्राण प्रतिष्ठा की तिथि का पता चला है। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि कई तिथियों पर विचार किया गया, जिसमें सबसे शुभ तिथि 22 जनवरी की है। ध्यान रहे इससे पहले राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से कहा गया था कि 28 दिसंबर से 26 जनवरी के बीच की कोई तिथि तय होगी। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेजा जाएगा और उनसे प्राण प्रतिष्ठा करने का अनुरोध किया जाएगा।
सो, जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। अलग अलग जगहों से लाई गई शिलाओं से तीन मूर्तियां बन रही हैं, जिनमें से एक की प्राण प्रतिष्ठा होगी। बताया गया है कि दिसंबर के अंत तक भूतल का काम पूरा हो जाएगा। बाद में ऊपर की मंजिलें बनती रहेंगी। यह भी बताया गया है कि रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सात दिन तक चलेगा। अयोध्या सहित देश भर में सात दिन तक इसका उत्सव चलेगा। यह तय नहीं है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दिन उत्सव शुरू होगा और सात दिन चलेगा या पहले ही शुरू हो जाएगा। इसमें एक संतुलन बनाना होगा क्योंकि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड है। उसका उत्सव अलग होना चाहिए।
बहरहाल, अगले साल जनवरी का आखिरी हफ्ता राम जन्मभूमि मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह का होगा। यह समारोह भले सात दिन चलेगा लेकिन इसका असर पूरे देश में महीनों तक रहेगा। मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है। सो, हैरानी नहीं होगी अगर भाजपा इस समारोह को जनवरी के आखिरी हफ्ते से लेकर चुनाव प्रचार तक ले जाए। आखिर पिछले चुनाव के समय यानी 2019 में फरवरी में पुलवामा कांड हुआ था, जिसे भाजपा ने चुनाव प्रचार में जम कर इस्तेमाल किया। पूरा चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर शिफ्ट हो गया था।
इस बार राष्ट्रवाद की बजाय हिंदुत्व और रामलला पर चुनाव शिफ्ट होने की संभावना है। हालांकि चुनाव की घोषणा से पहले या बाद में किसी समय बालाकोट और उरी जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या किसी अन्य सैन्य कार्रवाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन अभी जिस तरह की तैयारी चल रही है उसे देख कर लग रहा है कि चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे की ओर बढ़ रहा है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा होनी है तो काशी और मथुरा में अदालती आदेशों के जरिए सर्वेक्षण का काम चल रहा है। अगर काशी की ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी की नियमित पूजा के साथ साथ वहां मिले कथित शिवलिंग की पूजा अर्चना की इजाजत मिल जाती है तो उससे जो माहौल बनेगा उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। इस बीच मां विंध्यवासिनी मंदिर के कॉरिडोर का निर्माण भी पूरा होना। चुनाव से पहले उसका लोकार्पण हो सकता है।