भारत में नेता और उनके समर्थक कभी भी देश के लोगों को निराश नहीं करते है। वे हर घटना को चाहे वह खेल से जुड़ी हो या फिल्म से या किसी और क्षेत्र से उसमें राजनीति खोज लेते हैं या राजनीतिक लाभ-हानि के लिए उसका इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। विश्व कप में भारत की हार पर भी राजनीति चल रही है। लेकिन इसका संबंध न तो राजनीति से है और न खेल से है। इसका संबंध टोटके और पनौती से है। सोचें, देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बात पर बहस चल रही है कि कौन सा नेता ‘पनौती’ है यानी बुरे प्रभाव वाला है, जिसकी वजह से भारतीय टीम हार गई। सोशल मीडिया में भी इस बात को लेकर खूब आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं।
भारत के मैच हारने के बाद रविवार की रात को करीब सवा 11 बजे भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का एक भाषण ट्विट किया। प्रियंका रविवार को तेलंगाना में थीं और उन्होंने 1983 में भारत के विश्व कप जीतने का एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जीत से इतनी खुश थीं कि उन्होंने पूरी टीम को मिलने के लिए बुलाया और उन्हें बधाई दी। आगे प्रियंका ने कहा कि रविवार को इंदिरा गांधी की जयंती है इसलिए इस बार भी भारतीय टीम जरूर जीतेगी। यह भाषण ट्विट करके अमित मालवीय ने लिखा- इंदिरा गांधी को लोग अब पनौती बोलेंगे! सोचें, देश की सत्तारूढ़ और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख की इस टिप्पणी के बारे में! देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में हत्या हुई थी। यानी उनकी मृत्यु के करीब 40 साल बाद भाजपा उनको ‘पनौती’ बता रही है।
ऐसा बताने का कारण यह है कि सोशल मीडिया में कई लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘पनौती’ बता रहे थे। असल में भारत की टीम के फाइनल में पहुंचने के बाद ही तमाम तरह के टोटके पर बहस शुरू हो गई थी। जब से यह खबर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मैच देखने जाएंगे। भाजपा और मोदी विरोधियों ने सोशल मीडिया में यह प्रचार शुरू कर दिया कि उनको मैच देखने नहीं जाना चाहिए क्यों उनका प्रभाव अच्छा नहीं होता है। इसके लिए लोग 2020 के चंद्रयान-दो की लॉन्चिंग की मिसाल दे रहे थे, जब प्रधानमंत्री मोदी इसरो के कमांड सेंटर पहुंच गए थे और लॉन्च फेल हो गया था। चंद्रयान-दो की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी। चंद्रयान-तीन के समय प्रधानमंत्री विदेश में थे और वह लैंडिंग सफल रही थी।
इसकी मिसाल देकर लोग प्रधानमंत्री को बुरे प्रभाव वाला बता रहे थे। इसमें कुछ तो भाजपा और मोदी विरोधी थे और कुछ आम लोग थे, जिनको राजनीति से ज्यादा मतलब नहीं होता है। उनके निशाने पर सिर्फ प्रधानमंत्री थे। अमित शाह के लिए लोग कुछ नहीं कह रहे थे क्योंकि वे नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पाकिस्तान के साथ हुए विश्व कप मुकाबले में भी मौजूद थे और भारत ने शानदार जीत दर्ज की थी। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी को ऐसे निशाना बनाया जाना भाजपा को पसंद नहीं आया। हालांकि भारत में इस तरह के बहुत टोटके होते हैं। मैच के दौरान घरों में भी अगर किसी के आने से विकट गिर जाए तो लोग उसे ‘पनौती’ बता कर दूर भगा देते हैं। अगर टीम अच्छा खेल रही तो जो जहां बैठा होता है वहीं बैठा रहता है। विश्व कप जीतने वाली टीम के कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी की मां उनका कोई मैच नहीं देखती थीं। अमिताभ बच्चन ने भी कहा हुआ है कि मैच देखते हैं तो भारत हार जाता है।